बिहार में कोविड पर नियंत्रण अब होगा आसान, नयी नियमावली अधिसूचित, नियम तोड़ने पर हो सकती है सजा
सभी अस्पताल जिसमें सरकारी और प्राइवेट शामिल हैं को जिम्मेदारी दी गयी है कि फ्लू के सभी मरीजों की कोविड की स्क्रीनिंग की जायेगी. स्क्रिनिंग की जांच रिपोर्ट और उसकी ट्रेवल हिस्ट्री को सुरक्षित रखना है.
पटना. स्वास्थ्य विभाग ने बिहार महामारी कोविड-19 पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर बिहार इपिडेमिक डिजिज कोविड-19 नियमावली 2023 की अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी है. नयी नियमावली में इसके नियंत्रण को लेकर राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर के साथ ही सभी अस्पतालों का दायित्व निर्धारित कर दिया गया है.
बिहार इपिडेमिक डिजिज कोविड 19 रेगूलेशन 2023 अधिसूचित
स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार की गयी नियमावली में कहा गया है कि बिहार में कोविड के आउटब्रेक होने के बाद प्रभावी नियंत्रण के लिए सामान्य कानूनी प्रावधानों को समय समय पर प्रभावी किया गया. ये कानून अपर्याप्त हैं. सरकार ने केंद्रीय महामारी डिजिज एक्ट 1887 के मद्देनजर राज्य ने कोविड 19 रेगूलेशन 2019 जारी किया था. इसके बाद भी यह महसूस किया गया की कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए विशेष प्रावधान की आवश्यकता है. इसको लेकर बिहार इपिडेमिक डिजिज कोविड 19 रेगूलेशन 2023 को अधिसूचित किया जा रहा है. यह नियमावली एक साल तक प्रभावी होगी.
इन लोगों को बनाया गया अधिकृत पदाधिकारी
इस नियमावली में राज्य स्तर पर निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) को अधिकृत पदाधिकारी घोषित किया गया है. जिला स्तर पर जिलाधिकारी, सिविल सर्जन और एसीएमओ को अधिकृत पदाधिकारी बनाया गया है. इसी प्रकार से अनुमंडल स्तर और प्रखंड स्तर पर सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और मेडिकल ऑफिसर इनचार्ज को जवाबदेह बनाया गया है.
फ्लू के सभी मरीजों की कोविड की स्क्रीनिंग की जायेगी
सभी अस्पताल जिसमें सरकारी और प्राइवेट शामिल हैं को जिम्मेदारी दी गयी है कि फ्लू के सभी मरीजों की कोविड की स्क्रीनिंग की जायेगी. स्क्रिनिंग की जांच रिपोर्ट और उसकी ट्रेवल हिस्ट्री को सुरक्षित रखना है. कोई भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोविड को लेकर दुष्प्रचार नहीं किया जायेगा. प्राइवेट लैब को भी कोविड जांच के लिए अधिकृत कर दिया गया है.
नयी नियमावली में सजा का भी प्रावधान
नयी नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि कोई कोविड संक्रमित व्यक्ति अगर भर्ती होने या आइसोलेट होने से इनकार करता है तो नामित अधिकारी को शक्ति दी गयी है कि उस मरीज को सख्ती के साथ 10 दिनों तक अस्पताल में भर्ती कराया जाये या आइसोलेट करके रखा जाये. नियमावली में जिलाधिकारी को यह शक्ति दी गयी है कि वह किसी भी क्षेत्र को सील कर सकता है जिससे वहां बाहरी आवागमन नहीं हो. नयी नियमावली में सजा का भी प्रावधान है.