पटना : बिहार में कोरोना वायरस को लेकर आवश्यक सेवाओं में अबाध जारी रखने के लिए लोकहित में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम एस्मा लागू किया जा सकता है. एस्मा संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. कोरोना जैसी बीमारी के फैलने की आशंका के बावजूद हड़ताल कर रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर उत्तराखंड की सरकार ने एस्मा लागू कर दिया गया है. इस कानून के लागू होने के बाद कर्मचारी छह महीने तक किसी प्रकार की हड़ताल या कार्य बहिष्कार नहीं कर सकेंगे.
अत्यावश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन बस सेवा, रेल, हवाई सेवा, डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर एवं अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं. बिहार में शिक्षकों का एक वर्ग हड़ताल पर है जिसके कारण परीक्षाएं और मूल्यांकन कार्य पर असर पड़ने की संभावना है. साथ ही कानून के प्रभावी होने पर राज्य के चिकित्सक भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं. हर हाल में एंबुलेंस सेवाएं बहाल रह सकेंगी. हालांकि एस्मा लगाने के लिए सरकार को कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी. एस्मा लागू होने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. इसके अलावा इस कानून में जेल और जुर्माने का भी प्रावधान है.
गौरतलब है कि राज्य भर में विदेश से लौटे या उनके संपर्क में आनेवाले कुल 354 लोगों को निगरानी में रखा गया है. अभी तक कुल 113 लोगों ने अपनी निगरानी की 14 दिनों की अवधि पूरी कर ली है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 72 लोगों के नमूनों को लेकर जांच के लिए भेजा गया. अभी तक किसी भी व्यक्ति में कोरोना वायरस का पॉजिटिव केस नहीं मिला है.