पटना. महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को डबल मर्डर केस में बरी करने के निचली अदालत और पटना हाईकोर्ट के फैसलों को बीते 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह को इस मामले में सजा के लिए दलीलों पर सुनवाई के दौरान एक सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस से पेश होने की अनुमति प्रदान की है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरीए कोर्ट में उपस्थिति होने की इजाजत
तीन जजों की पीठ ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह डबल मर्डर केस में दोषी करार देते हुए उन्हें एक सितंबर को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया था. पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर सुनवाई में वर्चुअल तरीके से पेश होने की अनुमति मांगी थी. प्रभुनाथ सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को प्रत्यक्ष रूप से पेश होने से छूट देते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरीए कोर्ट में उपस्थिति होने की इजाजत दे दी.
उम्रकैद से से लेकर मृत्युदंड तक की हो सकती है सजा
एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट डबल मर्डर केस में पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की सजा की अवधि पर सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान प्रभुनाथ सिंह वर्चुअल तरीके से कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. एक सितंबर को प्रभुनाथ सिंह की सजा पर सुनवाई होगी और उन्हें आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. इससे पहले 18 अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डबल मर्डर केस में प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था.
क्या है मामला
पूरा यह मामला साल 1995 का है. आरोप है कि पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने अपने कहे अनुसार वोट नहीं देने पर छपरा के मसरख इलाके के रहने वाले राजेंद्र राय (47) और दारोगा राय (18) की हत्या करवा दी. आरोप था कि इन लोगों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित प्रत्याशी को अपना मत नहीं दिया था. मामला निचली अदालत पहुंचा था, जहां 2008 में सबूतों अभाव में पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी. इसके बाद साल 2012 में पटना हाईकोर्ट निचली अदालत के फैसले को सही माना था. इस फैसले के खिलाफ राजेंद्र राय के भाई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जनता दल विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद फिलहाल प्रभुनाथ सिंह हजारीबाग जेल में बंद हैं.