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बिहार में दिखी इंसानियत की मिसाल, मुस्लिम परिवार ने किया हिंदू बुजुर्ग का अंतिम संस्कार

पटना में एक मुस्लिम परिवार ने करीब 25 वर्षों से परिवार के सदस्य की तरह रह रहे हिंदू शख्स की मौत पर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया. समनपुरा इलाके में रहने वाले मुस्लिम परिवार ने अर्थी सजा पटना के गंगा घाट पर अंतिम संस्कार कर मिसाल पेश की है.

फुलवारीशरीफ. पटना में एक मुस्लिम परिवार ने करीब 25 वर्षों से परिवार के सदस्य की तरह रह रहे हिंदू शख्स की मौत पर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया. समनपुरा इलाके में रहने वाले मुस्लिम परिवार ने अर्थी सजा पटना के गंगा घाट पर अंतिम संस्कार कर मिसाल पेश की है.

समनपुरा में रहने वाले है मोहम्मद अरमान

राजा बाजार के समनपुरा में रहने वाले मोहम्मद अरमान के परिवार ने कई साल पहले हिंदू शख्स रामदेव को अपने यहां रख लिया था. जिस रामदेव (75 वर्ष) का इस दुनिया में कोई सहारा नहीं था, तब उसको अपने घर में रख कर सहारा देने वाले मुस्लिम समाज के परिवार ने उसकी मृत्यु पर हिंदू रीति रिवाज से उसका दाह संस्कार किया.

राम नाम सत्य बोलते हुए पहुंचे गुलबी घाट

मुसलमानों ने अपने कंधे पर राम नाम सत्य बोलते हुए उसे पटना के गुलबी घाट तक ले गये और फिर उसका अंतिम संस्कार किया. यह घटना राजधानी लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जा रहा है कि इस दाह संस्कार में मो रिजवान, दुकान के मालिक मो अरमान, मो राशिद और मो इजहार ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

भटकते हुए मिले थे रामदेव

सबनपुरा के लोगों ने बताया कि मो. अरमान की दुकान पर 25 वर्ष पहले रामदेव भटकते हुए आये थे. जिसके बाद रामदेव को अरमान ने काम पर रख लिया. तब से अब तक रामदेव मो. अरमान के यहां परिवार के सदस्य की तरह रहते थे. शुक्रवार को 75 वर्षीय रामदेव का निधन हो गया. रामदेव की मौत से अरमान का पूरा परिवार में सदमे है. बताया गया कि रामदेव के परिवार में कोई नहीं था. उसका सबकुछ अरमान और उनका परिवार ही था.

मेरे पिता समान थे रामदेव साह : रिजवान

रामदेव साह (75) के निधन से रिजवान के पूरे परिवार में शोक की लहर है. मो. रिजवान ने कहा कि रामदेव साह को 25 वर्ष पूर्व एक व्यक्ति लेकर आया था. उसने कहा कि काम के लिए ये भटक रहे हैं. मेरा दुकान बुद्धा प्लाजा में मदीना होजियरी के नाम से है. मैंने बगैर कुछ पुछे काम पर रख लिया था. रामदेव पढ़े लिखे थे. मेरे यहां एकाउंट देखते थे.

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