पटना. पटना में पिछले दिनों आत्महत्या की एक दिल दहला देनेवाली वारदात सामने आयी. इसके बाद आत्महत्या को लेकर समाज में एक मंथन शुरू हो चुका है. लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर लोग आत्महत्या क्यों कर लेते हैं, क्या उसके सामने कोई और विकल्प नहीं बचता है. समाज में आत्महत्या की बढ़ रही प्रवृति के कारणों की पड़ताल करते हुए प्रभात खबर ने चार कहानियों को आपके सामने लाने का काम किया है.
औराई (मुजफ्फरपुर) के राम चरित्र दास (बदला नाम) के पिताजी ने महाजन से इलाज को उधार ली थी. इस बीच उनकी मृत्यु हो गयी. ब्याज की रकम मूल धन से चार गुना बढ़ गयी. वह रकम आज भी चुका रहे हैं. मुजफ्फरपुर की पुलिस ने दूसरे मामले में एक सूदखोर के यहां छापेमारी की तो सौ से अधिक फ्रिज, टीवी, एलइडी आदि सामान बरामद हुए, जो सूद की रकम समय पर नहीं लौटाने पर रख लिये थे.
25 फरवरी 2020 को कटिहार के मुफस्सिल थाना के मेडिकल कॉलेज के समीप मनीष ठाकुर ने चार वर्षीय मासूम पुत्र को जहर खिलाकर उन्हें मार डाला और फिर पत्नी के साथ फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा था. इसमें लिखा था कि किस तरह से लेनदार उसे प्रताड़ित करते थे. उसके साथ गाली-गलौज व मारपीट तक करते थे.
पटना की महारानी कॉलोनी के रहने वाले व्यवसायी राजकुमार साव ने दुकान के लिए जान-पहचान वालों से कर्जलिया था. इसी बीच लॉकडाउन हो गया. दुकान बंद रहने से कर्ज नहीं चुका पाया. सूद बढ़ता गया. कर्ज देने वाला शख्स कभी फोन करता तो कभी घर पर पहुंच जाता था. वह धीरे-धीरे डिप्रेशन में चले गये और इसी साल जून में उन्होंने आत्महत्या कर ली.
जमालपुर के छोटी केशोपुर में हीरो पासवान ने सात माह पहले पड़ोसी प्रदीप कुमार से 20 हजार रुपये कर्जलिये थे. इनमें से 19 हजार लौटा दिये थे. एक हजार बचा था. पर, महाजन प्रदीप कुमार सूद समेत 35 हजार रुपये मांगने लगा. असमर्थता जताने पर प्रदीप ने गाली- गालौज करने के साथ लाठी-डंडे से मां-बेटी की पिटाई कर दी. शनिवार को बेटी ने इसकी शिकायत एसपी से की है.