भागलपुर (अंकित आनंद): देश के कई राज्यों की पुलिस साइबर फ्रॉड और साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए अपने आप को आधुनिक बना साइबर एक्सपर्ट्स को विभाग में बहाल कर रही है. पर बिहार में साइबर अपराध और अपराधियों से निबटने के तौर तरीके से लेकर प्रक्रिया तक को अपडेट नहीं किया जा सका है. इसका कारण है, शहर में लंबित सैकड़ोंं साइबर और आइटी एक्ट के मामले हैं.
दो सप्ताह पूर्व ही भागलपुर एसएसपी का पदभार ग्रहण करनेवाले 2014 बैच के आइपीएस अधिकारी आनंद कुमार ने साइबर अपराध से निबटने के लिए खास रणनीति तैयार की है. वह इसे जल्द ही भागलपुर पुलिस जिला में क्रियान्वित करेंगे. इसके तहत साइबर और आइटी एक्ट प्रवृत्ति वाले कांडों के अनुसंधान के लिए टेक्निकल जानकारी रखनेवाले पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, समय-समय पर साइबर एक्सपर्ट का वर्कशॉप आयोजित किया जायेगा, ऐसे मामलों के अनुसंधान के पुराने ट्रेंड को चेंज कर सफलता पानेवाले राज्यों की पुलिस के सफल मामलों या केस की जांच रिपोर्ट की स्टडी की जायेगी आदि.
एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि साइबर या आइटी एक्ट के मामलों के अनुसंधान के लिए सबसे जरूरी है ऐसे कांडों को समझने और जांच के लिए उपयोग में आनेवाले तकनीक की ट्रेनिंग. इस बात का पता लगाया जा रहा है कि जिले के किन अफसरों को पूर्व में साइबर अपराध और आइटी एक्ट के केस को लेकर ट्रेनिंग दी गयी है. फिलहाल जिले में एक्टिव साइबर सेल में कार्य करने वाले अफसरों और कर्मियों के ट्रैक रिकॉर्ड और उनके द्वारा कांड में किये गये अनुसंधान की जांच रिपोर्ट की भी स्टडी की जायेगी.
पूर्व से चले आ रहे साइबर और आइटी एक्ट के मामलों में अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारियों का ट्रेंड बदल कर विगत कुछ वर्षाें में बहाल हुए सब इंस्पेक्टर जो कि टेक्निकली साउंड हों, उन्हें जांच की जिम्मेवारी सौंपने के लिए सहमति मांगी जायेगी. जिला बल से ऐसे पदाधिकारियों और कर्मियों का चयन किया जायेगा, जो आइटी सेक्टर की पढ़ाई करने के बाद पुलिस में बहाल हुए हैं. फिर उन्हें मास्टर ट्रेनिंग दिलाकर उनके माध्यम से जिले में ज्यादा-से-ज्यादा पुलिस पदाधिकारियों को साइबर और आइटी एक्ट के मामलों की जांच की जानकारी प्रदान की जायेगी.
हालांकि बिहार पुलिस में कुछ वर्ष पहले ही प्रत्येक जिले में साइबर थाना खोलने की घोषणा की गयी थी. पर, यह घोषणा अब तक फाइलों में ही दौड़ रही है. पांच माह पूर्व भागलपुर पुलिस जिला समेत राज्य के कई महत्वपूर्ण जिलों में साइबर डीएसपी के पद का सृजन किया गया था, पर सरकार और मुख्यालय की उदासीनता की वजह से अब तक नवसृजित पदों पर किसी भी पदाधिकारी की पोस्टिंग नहीं हो सकी है.
कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन डीजीपी ने साइबर मामलों के अनुसंधान की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी को देने का निर्देश जारी किया था. उसके बाद से राज्य में मौजूद सर्वाधिक 89 और 94 बैच के इंस्पेक्टरों को जांच की जिम्मेदारी भी दी जाने लगी. पर, पुराने ख्यालात और आधुनिक तकनीक से अनभिज्ञ रहने की वजह से अनुसंधान में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह से साइबर और आइटी एक्ट के अधिकांश मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं.
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साइबर क्राइम से निबटने के लिए सबसे जरूरी है पदाधिकारियों का प्रशिक्षण
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साइबर एक्सपर्ट से वर्कशॉप और प्रशिक्षण सत्र चलवाया जायेगा, अन्य जिलाें में होनेवाले इस तरह के आयोजनों में भेजे जायेंगे अफसर.
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आइटी एक्ट के मामलों में इंस्पेक्टर की जगह नवनियुक्त सब इंस्पेक्टर को जांचकर्ता बनाने पर मांगी जायेगी सहमति.
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प्रथम पाली में प्रोफेशनल व टेक्निकल पढ़ाई करनेवाले नवनियुक्त अफसरों को किया जायेगा चिह्नित, दी जायेगी मास्टर ट्रेनिंग.
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भागलपुर पुलिस के सोशल मीडिया सेल और सोशल मीडिया साइट्स समेत वेबसाइट को फिर से किया जायेगा एक्टिव.
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50 नहीं, तीन-चार ऐसे ट्रेंड जिनका साइबर अपराधियों ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया, उसपर फोकस कर होगी ट्रेनिंग व जांच.
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साइबर ठगी होते ही उसकी रियल टाइम रिपोर्टिंग हो सके, इसके लिए विशेष सोशल मीडिया ग्रुप व प्रोफाइल को किया जायेगा शुरू.
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साइबर फ्रॉड होने पर पैसा निकलते ही किस तरह उसे तुरंत फ्रीज किया जाये और उसकी रिकवरी हो सके, इस पर रहेगा विशेष फोकस.