पटना. खाना बनाने के दौरान घरेलू गैस सिलिंडर के फटने की घटनाएं प्रदेश में होती रही है. राज्य में शहर मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सिलिंडर फटने से लोगों को काफी क्षति हो चुकी है. पूर्व के दिनों पर नजर उठाया जाये तो ऐसी कई घटनाओं में सिलिंडर फटने के कारण गृहस्वामियों को किसी गंभीर हादसे का शिकार होना पड़ा है. ऐसी घटनाओं के लिए घरेलू गैस सिलिंडर को लेकर उपभोक्ताओं में जागरुकता की कमी को भी एक वजह के तौर पर देखा जाता है. खाने-पीने के सामान व दवाओं के एक्सपायर होने की बात अक्सर सुनी जाती है. लेकिन इस तरह घरेलू उपयोग में आने वाला गैस सिलिंडर भी एक्सपायर होते हैं, इस संबंध में लोगों के पास जानकारी का अभाव है.
गैस एजेंसी की मालिकों के मुताबिक सिलिंडर के ऊपरी हिस्से में बड़े अक्षरों में अंग्रेजी अल्फाबेट के ए, बी, सी व डी बोल्ड अक्षरों में लिखे होते हैं. इसके आगे अंकों में साल का जिक्र होता है. यानि अगर किसी सिलिंडर पर ए-22 लिखा है, तो इसका मतलब है कि मार्च 2022 तक ही सिलिंडर उपयोग के मान्य है. इसी तरह सिलिंडर पर अगर डी-22 लिखा हो तो इसका मतलब होगा कि सिलिंडर का उपयोग दिसंबर 2023 तक ही मान्य है.
दवा व खान-पान के सामानों की तरह सभी गैस सिलिंडर पर उसका एक्सपायरी डेट एक निर्धारित कोड के रूप में अंकित होता है. उसी प्रकार सिलिंडर पर भी उसका एक्सपायरी डेट अंकित होता है. उपयोग में लाये जाने से पहले सिलिंडर का एक्सपायरी डेट की जांच सुरक्षा के लिहाज से जरूरी होता है. सिलिंडर बनाने के दौरान ही प्लांट में ही इसकी एक्सपायरी डेट लिखी जाती है. सिलिंडर को एक्सपायरी डेट ए, बी, सी व डी कोड के रूप में लिखी होती है. अक्सर डिस्ट्रब्यूटर्स से गैस लेते समय उपभोक्ताओं की नजर इस पर नहीं जाती है.
इधर कंपनी के अधिकारी व एजेंसी कर्मी को यह बखूबी पता होता है. जानकारों की मानें तो सिलिंडर पर लिखा कोड ए जनवरी से मार्च के तीन महीनों के युग्म को दर्शाता है. बी अप्रैल से जून, सी जुलाई से सितंबर व डी अक्तूबर से दिसंबर महीनों के युग्म को दर्शाता है. इस कोड के आगे अंकों में साल का जिक्र होता है. प्लांट में गैस रिफिलिंग के दौरान कई बार एक्सपायर सिलिंडर भी भूलवश उपभोक्ताओं तक पहुंच जाते हैं. जानकारों की मानें तो सिलिंडर फटने की एक वजह एक्सपायर सिलिंडर का इस्तेमाल भी हो सकता है.