बिहार के विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग ने राज्य के 30 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों का रिजल्ट खराब आने के बाद हर कॉलेज के प्राचार्य से मार्च प्रथम सप्ताह तक कमियों की रिपोर्ट मांगी है, ताकि छात्रों का रिजल्ट आगे से बेहतर हो सकें. फिलहाल समीक्षा बैठक में सभी कॉलेजों में लैब का विस्तार और फेकेल्टी बढ़ाने की दिशा में काम करने का निर्णय लिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद अगले तीन माह में परिसर में कई बदलाव किया जायेगा. विभाग के स्तर पर इस मामले में रिपोर्ट आने के बाद दोबारा से अधिकारियों के बैठक होगी.
विभाग के मुताबिक 6,134 छात्रों ने दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा दी थी. इसमें 460 छात्र फेल हो गये हैं. वहीं, कुल 5,674 छात्रों को प्रमोट किया गया है. लेकिन इन छात्रों में भी हर छात्र किसी ना किसी विषय में फेल हो गये थे. वहीं, पास नहीं होने वाले 460 छात्र पहले सेमेस्टर में फेल हुए थे.
छात्रों के लिए परिसर में स्पेशल क्लास भी चलाया जायेगा. इसमें वैसे छात्र होंगे , जिन्हें क्लास के बाद भी पढ़ाया जायेगा. कमजोर छात्रों के लिए सभी कॉलेजों में विशेष सेल का निर्माण होगा, ताकि कमजोर छात्रों की निगरानी नियमित हो सकें.
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ज्ञान विश्वविद्यालय की अकादमिक और प्रशासनिक स्थिति सुधारने के लिए शिक्षा विभाग बड़े प्रयास करने जा रहा है. आर्यभट्ट ज्ञान विवि व उसके नियंत्रणाधीन सात स्कूलों में शिक्षकों, पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के 262 पदों का सृजन किया गया है. शिक्षा मंत्री ने इसे मंजूरी दे दी है. प्रशासी पद वर्ग समिति ने भी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है. इन पदों के सृजन पर बिहार सरकार के ऊपर 32.54 लाख का व्यय संभावित है. प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट में जायेगा. आर्यभट्ट ज्ञान विवि के पटना स्थित मुख्यालय में कुलपति, प्रतिकुलपति ,कुल सचिव, वित्तीय सलाहकार, वित्त पदाधिकारी समेत 24 कैटेगरी के 68 पद सृजित किये जाने हैं. जानकारी के मुताबिक संबंधित सातों स्कूल अब विश्वविद्यालय में शामिल किये जा चुके हैं. वह अब विवि की अकादमिक गतिविधियों का हिस्सा होंगे.
पटना हाइकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया ( BCI) से 28 फरवरी तक यह बताने को कहा हैकि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए छात्रों को यूजीसी के गाइड लाइन के अनुरूप प्रोफेसर के पद पर नियुक्त क्यों नहीं किया जा सकता है. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार की अध्यक्षा वाली खंडपीठ ने राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव समेत योग्य प्रोफेसरों की कमी को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. बीसीआइ के निर्देश और जारी किये गये गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है. बीसीआइ के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है . इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआइ के अनुमति, अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी.