पटना. आर्थिक अपराध इकाई ने फेल छात्रों को बिहार बोर्ड आफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन के कर्मचारियों की सांठ-गांठ से पास कराकर मेडिकल- इंजीनियरिंग आदि विभिन्न कोर्स -पाठ्यक्रम में नामांकित कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पटना के बोरिंग कैनाल रोड स्थित एडमिशन प्रोवाइडर के नाम से कार्यालय खोलकर इस काम को अंजाम दिया जा रहा था. एडमिशन प्रोवाइडर के मालिक यूपी के आजमगढ़ निवासी फहीम अहमद एवं कर्मियों द्वारा लाखों रुपये लेकर तैयार किये गये फर्जी अंक पत्र आदि दस्तावेज भी जब्त किये गये हैं. फहीम को गिरफ्तार कर लिया गया है.
एडीजी इओयू नैयर हसनैन खान ने रविवार को मीडिया को बताया कि आर्थिक अपराध इकाई को सूचना मिली थी कि बोरिंग कैनाल रोड, पटना जमुना अपार्टमेंट के सामने एडिक्शन जिम के ऊपर दूसरे तल्ला पर एडमिशन प्रोवाइडर नाम का कार्यालय चलाया जा रहा है. इसके मालिक एवं कर्मियों द्वारा बिहार बोर्ड आफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन (बीबोस ) में छात्रों का अवैध रूप से नामांकन करवाया जा रहा है.
ये लोग छात्र के स्थान पर किसी अन्य स्कॉलर को परीक्षा में शामिल करवा देते थे. फिर बीबोस के कर्मियों की मिलीभगत से छात्रों का प्राप्तांक बढ़वा दिया जाता था. इन फर्जी अंक आदि के बल पर अयोग्य छात्रों का विभिन्न कोर्स – पाठ्यक्रम में नामांकन करवाया जा रहा था. इसके एवज में छात्रों के अभिभावकों से अवैध रूप से लाखों रुपये की वसूली की जा रही थी. फहीम अहमद एवं अन्य के खिलाफ आर्थिक अपराध थाना में काण्ड दर्ज कर जांच की जा रही है. फहीम वर्तमान में फ्लैट नंबर-301, द्वितीय तल, अर्जुना जेके टावर डॉ टी एन बनर्जी रोड, छज्जूबाग में रह रहा था.
तलाशी में एडमीशन प्रोवइडर के कार्यालय में कई छात्रों का बीबोस का मूल प्रमाण पत्र, कूटरचित अंक प्रमाण पत्र, कई अंक पत्रों में बीबोस का होलोग्राम काटा हुआ है. प्राप्तांक पेंसिल से बढ़ाकर अंकित किया हुआ है. सुधार के लिये पेंसिल से दूसरा जन्म तिथि आदि अंकित किया हुआ था. कई छात्रों का एडमिशन फार्म, मनी रिसिप्ट बुक, विभिन्न लोगों के द्वारा दिया की गयी रकम के कई चेक, कई पेन ड्राईव लैपटॉप एवं अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं.
फहीम अहमद ने पूछताछ में कई राज उगले हैं. उसने बताया कि कोई छात्र किसी कोर्स -पाठ्यक्रम जैसे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग आदि में नामांकन करवाने के लिए इनके कार्यालय से सम्पर्क करने आते थे. छात्र की एकेडेमिक्स कैटेगरी आदि की पूरी जानकारी ली जाती थी. छात्र छात्र बीएसईबी की 12वीं की परीक्षा में फेल हैं, तो ये बी बोस के कर्मियों की मदद से उसका नामांकन एवं रजिस्ट्रेशन विभिन्न स्टडी सेंटर के माध्यम से करवा देते थे. अयोग्य छात्र से पैसा लेकर उसके स्थान पर किसी अन्य छात्र (स्कॉलर) को परीक्षा में बैठा देते.
इस तरह फेल या अयोग्य छात्र अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर लेता था. यदि कोई छात्र खुद परीक्षा में सम्मिलित होता और उसे कम नंबर आते हैं, तो कूटरचित अंक प्रमाण पत्र तैयार करवा दिये जाते थे. बीबोस के कार्यालय अभिलेख एवं डाटाबेस में भी ऐसे छात्रों का प्राप्तांक बढ़ा कर अंकित कर दिया जाता था. इससे भविष्य में सत्यापन के समय भी कूटरचित अंक प्रमाण पत्र पकड़ में नहीं आता. इन प्रमाण पत्रों के आधार पर छात्र की इच्छानुसार अन्य राज्यों के कॉलेजों -विश्वविद्यालय में विभिन्न कोर्स में एडमिशन करा देते हैं. बदले में मोटा पैसा वसूला जाता था.