बिहार के इस अंचल कार्यालय में हो रहा फर्जी म्यूटेशन? बढ़ रही है मुकदमों की संख्या, जानें पूरा मामला
जमीन संबंधी विवादों से जुड़े 10000 से अधिक मामले छपरा कोर्ट समेत जिले के विभिन्न अधिकारियों के कार्यालय में पेंडिंग हैं. अधिकतर मामले फर्जी तरीके से जमीन खरीदने और बेचने से संबंधित हैं. सारण जिले के सदर प्रखंड से जुड़े भूमि विवाद सबसे अधिक हैं.
सारण. यदि आपकी खतियानी या खरीदगी जमीन है, तो इसके बारे में पूरी तरह से अंचल कार्यालय से जानकारी ले लें, अन्यथा पता नहीं दलालों की नजर आपकी जमीन पर टिक गयी होगी. यह भी संभव है कि आपकी जमीन किसी दूसरे के नाम से हो गयी होगी और उसका म्यूटेशन तक हो गया होगा. सारण में जमीन के फर्जी म्यूटेशन का मामला थमता नजर नहीं आ रहा है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चाहे छपरा कोर्ट न्यायालय हो या फिर एडीएम एसडीओ, डीसीएलआर समेत अन्य राजस्व कार्यालय हैं. इनके अलावा कई प्राधिकार भी बने हैं, जहां पर जमीन के मामलों की सुनवाई हो रही है और वहां पर शिकायतों की भरमार लग रही है. जमीन के मामलों की सुनवाई के लिए डीएम और एसपी अलग से जनता दरबार भी लगा रहे हैं, लेकिन इन जनता दरबारों का भी कोई असर नहीं हो रहा है. क्योंकि, दूसरे और गलत कार्य को तरजीह देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है.
10000 से अधिक मामले हैं पेंडिंग
जमीन संबंधी विवादों से जुड़े 10000 से अधिक मामले छपरा कोर्ट समेत जिले के विभिन्न अधिकारियों के कार्यालय में पेंडिंग हैं. अधिकतर मामले फर्जी तरीके से जमीन खरीदने और बेचने से संबंधित हैं. सारण जिले के सदर प्रखंड से जुड़े भूमि विवाद सबसे अधिक हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि सबसे अधिक जमीन के दलाल जिला मुख्यालय में एक्टिव हैं. वे विवादित मामलों को ढूंढ़ते रहते हैं और ऐसे मामलों में घुसकर जमीन की खरीद कर लेते हैं. इसमें सबसे अधिक परेशानी गरीबों को होती है.
फर्जी काम पहले, वास्तविक कम बाद में करते हैं अंचल कर्मी
जालसाजी से संबंधित अधिकतर मामले अंचल कार्यालय के कर्मियों की लापरवाही और मनमानी से संपादित हो रहे हैं, जिसकी वजह से न्यायालय में जमीन संबंधित मामलों की संख्या बढ़ रही है. फर्जीवाड़ा करने वाले दलाल ऐसे कर्मियों का सुविधा शुल्क के बल पर सहयोग लेते हैं. इनमें अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं, वास्तविक आदमी का काम कई साल से पेंडिंग पड़ा रह रहा है.
दो साल बाद भी नहीं हो पाया दाखिल खारिज
उदाहरण के तौर पर अमनौर प्रखंड के स्वर्गीय शीतल सिंह के नाम पर खतियानी जमीन का दाखिल-खारिज करने के लिए उनके परिजनों ने अमनौर अंचल कार्यालय में दिया था. दो साल हो गये, लेकिन आज तक सुविधा शुल्क नहीं दिये जाने के कारण तेरा म्यूटेशन में से एक का भी अब तक निराकरण नहीं हुआ है यह अपने आप में बड़ी बात है की एक तरफ जहां सरकार म्यूटेशन के मामलों को निष्पादित करने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ उनकी ही मातहत अधिकारी उनकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं यह तो महज उदाहरण भर है ऐसे सैकड़ों मामले हैं.
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क्या कहते हैं अधिकारी
जमीन से जुड़े मामलों में यदि अंचल स्तर से कर्मियों और अधिकारियों की लापरवाही सामने आती है, तो विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जायेगी. जिलाधिकारी का सख्त आदेश है कि ऐसे मामलों पर निगरानी रखें और यही कारण है कि सप्ताह में और महीने में कई बार आम लोगों की शिकायतें सुनी जा रही हैं. -संजय कुमार राय, एसडीओ, सदर
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