पटना में दीघा की 33 कट्ठा जमीन की फर्जी रजिस्ट्री अभिलेख रजिस्टर से जुड़वायी, 10 पर केस, जानें पूरा मामला
दीघा की एक जमीन की रजिस्ट्री के जाली दस्तावेज को बनवाया और उसे अभिलेखागार के रिकॉर्ड रूम में रखे कैटलॉग रजिस्टर में अलग से पन्ना में जुड़वा लिया. मामले का खुलासा जिला प्रशासन की जांच में हुआ, जिसके बाद संयुक्त अवर निबंधक ने गांधी मैदान थाने में दर्ज कराया मामला.
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तत्कालीन अभिलेखपाल, दफ्तरी, क्रेता, विक्रेता समेत दस पर केस दर्ज
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कैटलॉग रजिस्टर में अलग से पन्ने को जोड़ कर किया गया खेल
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जिला प्रशासन की जांच में हुआ खुलासा
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संयुक्त अवर निबंधक ने गांधी मैदान थाने में दर्ज कराया मामला, पुलिस कर रही जांच
पटना. दीघा की एक जमीन की रजिस्ट्री के जाली दस्तावेज को बनवाया और उसे अभिलेखागार के रिकॉर्ड रूम में रखे कैटलॉग रजिस्टर में अलग से पन्ना में जुड़वा लिया. मामला प्रकाश में आने के बाद संयुक्त अवर निबंधक सीमा कुमारी ने तत्कालीन अभिलेखापाल हरेंद्र सिंह, दफ्तरी अरविंद कुमार, स्टांप वेंडर रामउदगार, क्रेता शिव पासवान, विक्रेता में शामिल महाराज राय, रामजन्म राय व इस फर्जी दस्तावेज को तैयार करने में शामिल रामगोविंद राय, देवशरण राय, यमुना प्रसाद, सर्चर राजन कुमार पांडेय के खिलाफ में गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है.
42 कट्ठा जमीन से जुड़ा है मामला
पश्चिमी लोहानीपुर निवासी संजय सिंह ने जिला निबंधक के पास एक वाद दायर किया था और उसमें यह जानकारी दी थी कि पटना के मौजा दीघा, तौजी नंबर 5177, खाता नंबर 1119, खेसरा नंबर 2232 व 2233 का क्रय का कुल रकबा 42 कट्ठा का क्रय जय प्रकाश सहकारी गृह निर्माण समिति द्वारा विपत राय, महाराज राय, रामजन्म राय व सौदागर राय आदि से वर्ष 1981 में क्रय की गयी थी. इसके बाद इस भूमि को समिति के सदस्यों के बीच प्लॉटिंग कर आवंटित कर दिया गया था.
साथ ही वाद में यह भी बताया गया था कि समिति द्वारा क्रय कर सदस्यों के बीच आवंटित की गयी भूमि को हड़पने की नीयत से एक सुनियोजित साजिश के तहत जाली लेख्यपत्र (रजिस्ट्री के दस्तावेज) को तैयार किया गया. जिसके विक्रेता महराज राय, रामजन्म राय हैं और क्रेता नौबतपुर निवासी शिव पासवान हैं. इस लेख्यपत्र के द्वारा तौजी नंबर 77, खाता नंबर 1119, खेसरा नंबर 2232 व रकवा 33 कट्ठा दर्शाया गया है.
उस लेख्यपत्र को कातिब द्वारा तैयार किया गया है और उस पर दीघा पाटीपुल निवासी रामगोविंद राय, देवशरण राय, यमुना प्रसाद को गवाह बनाया गया है और इस जाली लेख्यपत्र को जिस स्टांप पर लिखा गया है, वह स्टांप वेंडर रामउदगार प्रसाद से खरीदा गया है. जिसे बुक 1, जिल्द संख्या 65, पृष्ट संख्या 597 से 600, लेख्यपत्र संख्या 5153, वर्ष 1981 में निबंधित बताया गया है. संजय सिंह ने बताया कि यह लेख्यपत्र जाली है और इसकी जांच करायी जाये.
अलग से कैटलॉग रजिस्टर में पन्ने को जोड़ कर किया गया खेल
जिला प्रशासन ने पूरे मामले की जांच करायी तो पता चला कि अभिलेखागार के कैटलॉग रजिस्टर जिल्द संख्या 34 वर्ष 1978 से 1981 के लिए है. जिल्द संख्या 65 वर्ष 1981 में 595 पन्ना बताया गया है. शिव पासवान द्वारा करायी गयी रजिस्ट्री में बुक संख्या 1, जिल्द संख्या 65, वर्ष 1981 में 600 पन्ना अंकित है. इससे यह स्पष्ट हो गया कि चार पन्ने 597, 598, 599 एवं 600 बाद में जोड़े गये हैं. इसमें एक बात और पता चली कि जोड़े गये पन्ना संख्या 597 से 688 पर दस्तावेज दायीं ओर मुद्रित है और जबकि उसी कैटलॉग रजिस्टर में अन्य पन्नों पर बायीं ओर मुद्रित है. इसके अलावा अन्य पन्नों पर मुद्रित क्रमांक के बगल में हिंदी में दस्तावेज की नकल के लिए बिचला स्थल 20 पंक्तियां हर पंक्ति में 15 पन्ने के हिसाब से मुद्रित हैं. जबकि जोड़े गये पन्नों पर रजिस्टर बुक संख्या 1, 3, 4 अंग्रेजी में सेंट्रल स्पेस फॉर कॉपी ऑफ डाक्यूमेंट अंकित है.
साथ ही प्रत्येक जिल्द के पहले पन्ने पर यह जिक्र रहता है कि कैटलॉग रजिस्टर में कितने पन्ने हैं, इसे भी फाड़ दिया गया है. ताकि यह जानकारी नहीं मिल सके कि कैटलॉग रजिस्टर कितने पन्ने का है. इसके अलावा अन्य बिंदुओं पर भी जांच में 33 कट्ठे की रजिस्ट्री का दस्तावेज फर्जी पाया गया और फिर इस पूरे मामले में शामिल तत्कालीन अभिलेखापाल, दफ्तरी, स्टांप वेंडर बिक्रेता, क्रेता, विक्रेता व गवाहों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए संयुक्त अवर निबंधक सीमा कुमारी ने गांधी मैदान थाने में चार जून को प्राथमिकी दर्ज करा दी है.