आधुनिक तकनीक से आम व केले की बागवानी से किसान कर रहे अच्छी कमाई, तकनीकी हब से मिल रही किसानों को ट्रेनिंग

एक हेक्टेयर में आम के 400 पौधे लगेंगे. उच्च घनत्व रोपण तकनीकी जमीन का समुचित उपयोग के लिए अपनाया जा रहा है. दरअसल एक हेक्टेयर में आम के 400 पौधे लगाए जाते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 13, 2022 10:51 AM

आधुनिक तकनीक उच्च घनत्व रोपण से आम व केले की बागवानी कर गाढ़ी कमाई की तैयारी में टाल के किसान जुटे हैं. किसानों को इसकी ट्रेनिंग कृषि विशेषज्ञों की तकनीकी हब से मिल रही है. मोकामा के मोलदियार टोला के मुकेश सिंह और सर्करवार टोला के शशांक कुमार को आधुनिक तकनीक का विशेष प्रशिक्षण मिला है. दोनों किसान आसपास के अन्य लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं. पूर्व आत्मा अध्यक्ष चंदन कुमार ने बताया कि बाघ प्रबंधन की आधुनिक तकनीक हर मायने में किसानों के लिए फायदेमंद है.

वही उपज की भी गारंटी है. इससे पहले किसान परंपरागत तरीके से आम व केले की खेती कर रहे थे, लेकिन इससे किसानों को उम्दा पैदावार की उम्मीद नहीं है. विशेषज्ञों की सलाह पर किसानों ने नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं. कोरोना को लेकर बागवानी की आधुनिक तकनीक की जानकारी इच्छुक किसानों को ऑनलाइन दी जाएगी. एक हेक्टेयर में आम के 400 पौधे लगेंगे. उच्च घनत्व रोपण तकनीकी जमीन का समुचित उपयोग के लिए अपनाया जा रहा है. दरअसल एक हेक्टेयर में आम के 400 पौधे लगाए जाते हैं.

बाद में कटाई छटाई कर छह से 7 फीट की ऊंचाई रखी जाती है. यह पौधे से 3 वर्षों में फल देना शुरू कर देता है. छोटे पौधों को आंधी व तूफान से भी फसलों को कम क्षति पहुंचती है. पौधों के प्रजाति के अनुसार ढाई-ढाई व पांच-पांच फुट की दूरी पर लगाए जाते हैं, इसी तरह केले की खेती भी फायदेमंद साबित हो रही है. प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि बागवानी के लिए सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इच्छुक किसानों से ऑनलाइन आवेदन लिए जायेंगे. मोकामा के शिवनार ग्राम में दो दर्जन किसान केले की खेती आधुनिक तकनीक से कर रहे हैं. उन्हें अनुदान का लाभ भी मिल रहा है.

फाल्गुन में आम तो वैशाख में केले के पौधे लगाना फायदेमंद

किसानों का कहना है कि फाल्गुन में आम तो वैशाख में केले के पौधे लगाना फायदेमंद होगा. लेकिन इसकी तैयारी पूर्व से ही की जाती है. आम लगाने के लिए गड्ढों का निर्माण एक माह पूर्व ही करना पड़ता है. विशेषज्ञों की राय से कंपोस्ट भी पहले से ही तैयार करने की जरुरत है. मोलिदयार टोला के विश्वनाथ सिंह ने कहा कि टाल में दलहन की खेती पर निर्भर होने से किसानों की आर्थिक दशा बिगड़ गयी है.

Next Article

Exit mobile version