बिहार में सैटेलाइट से पकड़े गए पराली जलाने वाले 6 किसान, प्रशासन ने सरकारी योजनाओं से किया वंचित
पूर्णिया जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के तहत पराली जलाने के 11 मामले सैटेलाइट के माध्यम से प्राप्त हुए हैं. इसके आधार पर जांच में दोषी पाये गए 6 किसानों का डीबीटी रजिस्ट्रेशन नंबर रद्द कर दिया गया है और उन्हें 3 साल के लिए सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है
बिहार में खेतों में पुआल जलाने वाले किसानों के खिलाफ राज्य सरकार कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कार्रवाई कर रही है. राज्य में जिन किसानों द्वारा खेतों में पुआल जलाई जा रही है उनका डायरेक्ट बेनिफिट पंजीकरण रद्द किए जाने के साथ ही तीन वर्ष तक सरकारी योजनाओं से भी वंचित किया जा रहा है. इसी बीच पूर्णिया जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत पराली जलाने के 11 मामले सेटेलाइट के माध्यम से प्राप्त हुए हैं. इसके आधार पर चिह्नित स्थलों और संबंधित किसानों की त्वरित जांच की गई. जांच के बाद 6 किसानों का डीबीटी रजिस्ट्रेशन नंबर रद्द कर दिया गया है और उन्हें 3 साल के लिए सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है. इसके अलावा सहकारिता विभाग संबंधित किसानों से धान और गेहूं की खरीदारी नहीं करेगा.
पराली न जलाने को लेकर किसानों के बीच गहन प्रचार-प्रसार करने का निर्देश
खेतों में पराली जलाए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार ने कृषि टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक को पराली नहीं जलाने के संबंध में किसानों के बीच गहन प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सभी किसानों को इस बात के लिए जागरूक करने की जरूरत है कि यदि वे फसल अवशेष जलाते हैं तो उन्हें किसी प्रकार कि सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं करायी जायेगी तथा नियमानुसार कार्रवाई भी की जायेगी.
पराली जलाने पर रद्द होगी डीबीटी पंजीकरण
डीएम ने कहा कि यदि कोई भी कृषक पराली जलाते पकड़े गये तो संबंधित कृषकों का डीबीटी पंजीकरण संख्या को तत्काल रद्द करें तथा संबंधित कृषक पर विधि सम्मत संबंध कार्रवाई सुनिश्चित करें. जिला पदाधिकारी ने कहा कि यदि कृषि विभाग के पदाधिकारी एवं कर्मी द्वारा इस संबंध में कोई भी लापरवाही बरती गयी तो संबंधित के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
जिले में डीएपी उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध
डीएम ने समीक्षा के दौरान जिला पदाधिकारी द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन तथा उर्वरक की उपलब्धता को लेकर संबंधित पदाधिकारी को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिया. समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले में डीएपी उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.
एनजीटी ने फसल अवशेष जलाने पर लगा रखा है प्रतिबंध
दरअसल खेतों में धान की कटाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. किसान खेतों की कटाई कंबाइन मशीन से करवाने के बाद पराली के अवशेषों को आग लगा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अभिकरण) ने फसलों के अवशेष जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. बावजूद किसान बड़े पैमाने पर अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे. पिछले साल कृषि विभाग के साथ प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक निरीक्षण अभियान चलाया गया था और धान के अवशेष जलाने वाले किसानों से जुर्माना वसूलने की बात कही गई थी, लेकिन किसान फिर भी अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे है.
बैठक में ये थे मौजूद
बैठक में उप विकास आयुक्त, नगर आयुक्त, सहायक समाहर्ता, निदेशक डीआरडीए, जिला परिवहन पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी एवं भूमि सुधार उपसमाहर्ता सदर पूर्णिया, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी तथा संबंधित विभागीय पदाधिकारिगण उपस्थित थे.
मुख्य सचिव ने सभी डीएम के साथ की थी बैठक
बता दें कि बीते दिनों राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों के साथ धान की फसल कटने के पहले खेतों में पुआल जलाने की घटना को लेकर बैठक की थी. इस दौरान उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि धान की कटनी के बाद खेतों में पुआल जलाने वाले किसानों की धान की खरीद नहीं की जायेगी. उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिन किसानों द्वारा खेतों में पुआल जलाने की घटना को लेकर डायरेक्ट बेनिफिट पंजीकरण रद्द किया गया है, वैसे किसानों की सूची प्रखंड कार्यालयों में प्रदर्शित की जाये.
पुआल जलने की घटना पर कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग
मुख्य सचिव ने यह भी कहा था कि धान कटनी के समय रियल टाईम में पुआल जलने की घटना के लिए मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम के माध्यम से मॉनिटरिंग की जायेगी. धान की कटनी के बाद खेतों में पुआल जलने की घटना पाये जाने वाले जिलों के जिला पदाधिकारियों के साथ फिर से एक बैठक की जायेगी.