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बांका में किसानों को अभी भी बारिश की आस, पंप सेट चलाकर भी महज दस फीसदी कर पाये धान रोपनी

पिछले 15 रोज से रतजग्गा कर मोटर से पानी खेत में पहुंचा रहे हैं, तब जाकर आखिरकार कीचड़ लायक पानी हो पाया. खेत में पानी जमा करने में इतने दिन इसलिए लग गये कि धरती के नीचे से भी पानी गायब हो गया है.

रिपोर्ट: मदन कुमार

बांका. चांदन नदी से सटा हुआ गांव जितारपुर बहियार में कुछ किसान रोपनी कर रहे है. हांलाकि नदी किनारे होने के बावजूद पानी की किल्लत साफ यहां पर नजर आ रहा है. नौजवान किसान नकुल यादव बताते हैं कि पिछले 15 रोज से रतजग्गा कर मोटर से पानी खेत में पहुंचा रहे हैं, तब जाकर आखिरकार कीचड़ लायक पानी हो पाया. खेत में पानी जमा करने में इतने दिन इसलिए लग गये कि धरती के नीचे से भी पानी गायब हो गया है. मोटर मशीन भी हांफने लगती है. कमोबेश यही हालत बहेरा, दोमुहान, छत्रपाल, डाड़ा, दुधारी, जमुआ इत्यादि पंचायतों के बहियार की है.

अभी महज 10.62 फीसदी धान की रोपाई

पानी के अभाव में अभी महज 10.62 फीसदी धान की रोपाई हो पायी है. पानी नहीं रहने की वजह से खेत सूख रहे हैं. पहाड़ी और वर्षा आधारित क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है. कई ऐसे भी बहियार हैं, जहां धान इस बार लग पाना भी संभव नहीं है. इस बार धान अच्छादन का लक्ष्य 100824 हेक्टेयर है, जिसमें चार अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार 10708.92 हेक्टेयर में धनरोपनी हो गयी है. सबसे अधिक धान की रोपाई शंभुगंज प्रखंड में 26.42 फीसदी और सबसे कम चांदन में 2.50 फीसदी हुई है. ऐसे इलाकों का बहियार पूरी तरह उदास और परती पड़ा हुआ है.

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अगस्त की बारिश से आस

जुलाई में इस बार औसत बारिश महज 131.6 एमएम ही हो पायी. जबकि, सामान्य वर्षापात 296.6 एमएम था. जबकि 2022 में 92.9 एमएम बारिश हुई थी. अगस्त में पिछले वर्ष 100.5 एमएम बारिश हुई थी और इस साल अबतक 33.9 एमएम हुई है. हालांकि, अभी यह माह शुरु ही हुआ है. पिछले चार दिनों के वर्षा पर नजर डालें तो एक अगस्त को .96 एमएम, दो अगस्त को बहुत अच्छी बारिश 26.51 एमएम हुई. जबकि, तीन अगस्त को 6.33 व चार अगस्त को 0.13 एमएम ही बारिश हुई.

कहते हैं किसान

  1. प्रकाश यादव कहते हैं कि वह बंटाइदार पर खेती करते हैं. कुल चार बीघा की खेती में दो बीघा ही रोपाई हो पायी है. शेष परती है. नदी किनारे होने के बावजूद पानी की दिक्कत हो रही है. पहले एक डांड़ भी हुआ करता था जो बालू उठाव और उदासीनता की वजह से भर कर खत्म हो गया है.

  2. नकूल यादव कहते हैं कि किसान हैं तो खेती किये बिना रहना मुमकिन नहीं है. इंसान के साथ मवेशियों का भी चारा इसी पर निर्भर है. लेकिन, इस बार विगत वर्ष से भी अधिक हालत खराब है. 15 रात जगकर मोटर के माध्यम से पानी खेत तक पहुंचाया गया तब जाकर धनरोपनी शुरु हो पायी है. हर चीज महंगी है. ऐसे में खेती अब संभव नहीं रह गया है.

  3. राकेश मंडल कहते हैं कि यहां नौ-10 बोरिंग किया गया था जो फेल हो गया है. नीचे पत्थर निकल जाता है. विभाग के माध्यम से कोई ठोस जुगत नहीं बैठाई जा रही है. खेती की हालत पिछले साल से भी अधिक कष्टकारी है. हर चीज महंगी हो गयी है. खाद, बिजली, ट्रैक्टर जो भी लाइए एक दो लग रहे हैं.

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प्रखंडवार धान अच्छादन की स्थिति हेक्टेयर में

प्रखंड लक्ष्य उपलब्धि

  • अमरपुर 11947 990.47

  • बांका 8312 733.50

  • बाराहाट 8405 594.00

  • बेलहर 9341 1074.10

  • बौंसी 8228 709.10

  • चांदन 8815 220.10

  • धोरैया 12670 1193.60

  • फुल्लीडुमर 5708 687.10

  • कटोरिया 8274 291.00

  • रजौन 9305 1621.30

  • शंभुगंज 9819 2594.65

क्या कहते हैं अधिकारी

बांका के जिला कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार कहते हैं कि अगस्त में बारिश के आसार हैं. अभी धनरोपनी का समय है. किसान धनरोपनी करें. सरकार डीजल अनुदान का लाभ भी दे रही है. बिजली भी बहियार में पर्याप्त दी जा रही है. क्षेत्र पर नजर बनी हुई है. किसान डीजल अनुदान के लिए नियमानुसान ऑनलाइन आवेदन करें.

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