बिहार के किसान अब उगायेंगे सेब, सरकार देगी 50 फीसदी सब्सिडी

बिहार में सेब की खेती की जायेगी. इसके लिए 45 डिग्री तापमान में पैदा होने वाले सेब की प्रजाति विकसित की गयी है. करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी शुरुआत होगी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 28, 2021 7:31 AM
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पटना. बिहार में सेब की खेती की जायेगी. इसके लिए 45 डिग्री तापमान में पैदा होने वाले सेब की प्रजाति विकसित की गयी है. करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी शुरुआत होगी. इसमें 10 हेक्टेयर रकबा में कृषि विभाग और 10 हेक्टेयर पर इसमें रुचि रखने वाले किसानों से इसकी बागवानी करायी जायेगी. विभाग किसानों को 50 फीसदी के करीब सब्सिडी देगा. एक हेक्टेयर में करीब ढाई लाख रुपये की लागत आयेगी.

विशेष उद्यानिक फसल (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र ) योजना के अंतर्गत सेब की खेती को बिहार में नयी फसल के रूप में प्रारंभ कराना है. कृषि विभाग ने पहली बार सेब की बागवानी को इस नयी योजना में शामिल किया है. कृषि विभाग का मानना है कि सेब एक शीतोष्ण (कम तापमान वाली फसल) फल है. बिहार का मौसम भले ही इसके अनकूल नहीं है, लेकिन सेब की हरिमन-99 प्रजाति को विकसित किया गया है. इस प्रजाति का सेब बिहार के मौसम में पैदा किया जा सकता है.

औरंगाबाद, वैशाली, बेगूसराय व भागलपुर में किसानों को सेब की बागवानी का अनुभव बेहतर रहा है. यहां प्रयोग सफल होने के बाद ही कृषि विभाग राज्यभर में अक्तूबर से फरवरी के बीच इसकी बागवानी का क्रियान्वयन कराने जा रहा है. कृषि विभाग सेंटर आॅफ एक्सीलेंस, देसरी में 10 हेक्टेयर में सेब पैदा करेगा.

निजी क्षेत्र के तहत विभिन्न जिलों के किसानों को इसमें जोड़ा जायेगा. सेब की का क्षेत्र विस्तार करने के लिए सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर पर ढाई लाख रुपये तीन किस्तों में देगी. पहली किस्त में अनुदान का 60 फीसदी मिलेगा. बचा अनुदान दो समान किस्तों में दिया जायेगा.

उत्तर बिहार के जिलों की जलवायु सेब के लिए अनुकूल

डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विवि, पूसा के निदेशक ( अनुसंधान ) डाॅ एसके सिंह का कहना है कि सेब की उन्नत खेती सामान्यत ठंडे राज्यों में हो रही है. मैदानी क्षेत्र के लिए हरिमन-99 प्रजाति को विकसित किया गया है. यह 45 डिग्री तापमान पर भी अनकूल है. गया, नवादा अरवल आदि दक्षिण बिहार के जिलों को छोड़ दिया जाये, तो उत्तरी बिहार के सभी जिलों में सेब की खेती की जा सकती है.

Posted by Ashish Jha

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