पटना. राज्य के हजारों किसानों ने खेती के आधुनिक गुर सिखाने के लिए सेंटर खाेलने की मांग की है़ सरकार ने इसे मंजूर कर लिया है. अब प्रत्येक प्रखंड में किसानों के लिए पाठशाला का आयोजन किया जायेगा़ अभी राज्यभर में करीब 150 पाठशालाएं संचालित थीं. कृषि विभाग इनकी संख्या बढ़ा कर 534 करने जा रहा है़ हालांकि, किसान पाठशाला में प्रशिक्षण की अवधि कम कर दी गयी है़
इस पूरे कार्यक्रम का कोर्स तैयार करने की जिम्मेदारी बामेती को दी गयी है. बिहार में बड़ी संख्या ऐसे किसानों की है जो अब भी परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं. इसको बदलने के लिए , किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, कम लागत पर अधिक उत्पादन के सरकारी प्रयास किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में कृषि विभाग प्रत्येक जिले के चार प्रखंडों में किसान पाठशाला का आयोजन कर रहा था़ इसमें किसानों को नयी- नयी तकनीक की जानकारी दी जाती है़
आसपास के प्रगतिशील किसान भी अपने अनुभव शेयर करते हैं. किसान एक दूसरे से सीखते- सिखाते हैं. स्थानीय कृषि अधिकारी उनकी समस्या को दूर करने और सुझावों को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने में मदद करते हैं. वैज्ञानिक पद्धति से खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के जागरूकता के इस अभियान ने किसानों में ललक पैदा कर दी.
अभी तक चार ब्लॉक में ही इसका आयोजन होता आ रहा था. इस कारण दूर- दराज के किसान चाह कर भी इसमें भाग नहीं ले पा रहे थे. ऐसे में किसानों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के माध्यम से अपनी-अपनी पंचायत-क्षेत्र में किसान पाठशाला का आयोजन करने की मांग की थी़
कृषि सचिव डाॅ एन सरवण कुमार ने सभी प्रखंडों में इस पाठशाला को शुरू करने के लिए योजना बनाने के निर्देश दिये हैं. हालांकि, इनका समय छह सप्ताह रहेगा, यानी किसानों को खेती किसानी सिखाने वाले ये स्कूल छह सप्ताह के लिए प्रत्येक ब्लॉक में लगेंगे. अभी तक यह एक फसल का चक्र यानी 15 सप्ताह तक लगते थे.
Posted by Ashish Jha