पटना. रोक के बावजूद बिहार के सभी 30 जिलों में 6733 जगहों पर पराली जलायी गयी. सबसे अधिक रोहतास, उसके बाद कैमूर और फिर बक्सर में पराली जलाने का मामला प्रकाश में आया. वर्ष 2022 में अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक जलायी गयी पराली का खुलासा सेटेलाइट से ली गयी तस्वीरों से हुआ है. मामला सामने आने के बाद वर्ष 2019 से 2022 तक कुल 6066 किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं से वंचित किया गया है. सबसे अधिक कार्रवाई भी रोहतास में पराली जलाने वालों पर हुई है.
सबसे अधिक पराली रोहतास जिले में जलायी गयी है. रोहतास में 2589, कैमूर में 1414 तथा बक्सर में 872 स्थानों पर पराली जलायी गयी. वहीं बेगूसराय में 41, जहानाबाद में 39, लखीसराय में 36, नवादा में 32, सीवान में 29, शेखपुरा में 20, मुजफ्फरपुर में 20, दरभंगा में 19, अररिया में 12, सीतामढ़ी में 11, मधेपुरा, पूर्णिया में 11, भोजपुर में 323 स्थानों, पश्चिमी चंपारण में 258, नालंदा में 249, पटना में 185, औरंगाबाद में 164, पूर्वी चंपारण में 130, गया में 64, सारण में 60, गोपालगंज में 44, मधुबनी में 10, बांका में 9, खगड़िया में 7, शिवहर में 6, समस्तीपुर में 6, कटिहार में 5, मुंगेर में 5, भागलपुर में 5, जमुई में 5, अरवल में 4, किशनगंज में 3, वैशाली में 3, सहरसा व सुपौल में एक-एक जगह पराली जलायी गयी.
पराली जलाने पर 20 जिले के किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं से वंचित किया गया है. रोहतास में 2273, कैमूर में 1195, बक्सर में 989, भोजपुर में 592, मधुबनी में 6, पश्चिमी व पूर्वी चंपारण में छह-छह, जहानाबाद में 4, मुंगेर में 3, नालंदा में 431, गया में 174, पटना में 153, नवादा में 71, औरंगाबाद में 68, जमुई में 50, सिवान में 16, गोपालगंज में 15, बांका में 11, खगड़िया में 2 तथा लखीसराय में एक किसान को कृषि विभाग की योजनाओं से वंचित किया गया.