बक्सर में यूरिया आवंटन की खबर मिलते ही केंद्र पर आधी रात पहुंचे किसान, भीषण ठंड में महिलाओं की संख्या रही अधिक
बक्सर जिले में दो रोज पहले कुल छह सौ एमटी यूरिया का आवंटन होने की खबर मिलते ही बिस्कोमान केंद्र पर अपनी बारी की यूरिया लेने के लिए किसान एक दिन पहले ही पहुंच रहे हैं. इस कड़ाके की ठंड में आधी रात पहुंचकर कतार में खड़े हो रहे है.
बिहार के कई जिलों में किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है. गेहूं की पटवन करने के बाद खेतों में यूरिया डालने के लिए किसान परेशान है. जिसके कारण रबी फसल बर्बाद होने के कगार पर है. यूरिया के लिए किसान जहां-तहां भाग दौड़ कर रहे है. इधर, बक्सर जिले में दो रोज पहले कुल छह सौ एमटी यूरिया का आवंटन होने की खबर मिलते ही बिस्कोमान केंद्र पर अपनी बारी की यूरिया लेने के लिए किसान एक दिन पहले ही पहुंच रहे हैं. इस कड़ाके की ठंड में आधी रात पहुंचकर कतार में खड़े हो रहे है. कतार में खड़े किसानों में ज्यादातर महिलाएं देखने को मिल रही है.
यूरिया लेने के लिये एक दिन पहले बिस्कोमान पर पहुंचते हैं किसान
बिस्कोमान केंद्र पर यूरिया लेने पहुंचे किसानों का कहना है कि हमलोगों ने सोमवार को ही लाइन में लग कर नंबर लगा दिये थे. लिहाजा मंगलवार को देर शाम तक यूरिया मिलने की उम्मीद है. यूरिया के लिए काफी संख्या में महिलाएं भी पहुंच रही हैं. लाइन में अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे किसानों ने कहा कि एक दिन पहले से ही हम लोग यूरिया लेने के लिए अपना आधार कार्ड जमा कर दूसरे दिन भी इंतजार कर रहे हैं. लाइन में लगे किसानों को भय सता रहा है कि कहीं यूरिया खत्म मत हो जाये. इसके डर से पानी पीने तक नहीं जाते हैं. जिला जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि अब जिले में यूरिया की किल्लत नहीं होगी.
यूरिया के लिए मारा मारी
आरा रेक से 1253.240 एमटी और सासाराम रेक से 490.5 एमटी यूरिया बुधवार को बक्सर जिले को आवंटन हो जायेगा, जिसे प्रत्येक पंचायत में खुदरा विक्रेता प्रतिष्ठान को उपलब्ध करा दिया जायेगा, ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो. खुदरा विक्रेता प्रतिष्ठान पर खाद वितरण के लिए किसान समन्वयक और किसान सलाहकार को भी नियुक्त किया गया है. किसी भी तरह की परेशानी किसान को न हो. अगर खाद में किसी तरह की समस्या होती है, तो उसकी सूचना आप दे सकते हैं. इसके लिए आपका नाम गुप्त रखा जायेगा.
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क्या कहते हैं जिले के किसान
यूरिया नहीं मिलने से हम सभी किसान परेशान हैं. इस कारण महंगे दाम पर 500 रुपये देकर यूरिया खरीदाना मजबूरी है. ऐसी स्थिति हर साल आती है. गोविंदपुर के किसान दीनबंधु सिंह ने कहा कि यूरिया के बिना खेती करना संभव नहीं है. आखिर कौन सी वजह है कि हर साल गेहूं में पहली बार यूरिया डालने के दौरान ही यह समस्या उत्पन्न होती है.