देश में हजारों किसान ऐसे हैं जो मोती पालन करके कई गुना लाभ कमा रहे हैं.सरकार की तरफ से मोती की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है.जो बैंक कर्ज का करीब 30 प्रतिशत हो सकता है.किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए ट्रेनिंग और उस व्यवसाय से जुड़ी जानकारी बहुत जरूरी है. इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के तहत बने विंग सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर से मोती ट्रेनिंग लिया जा सकता है.यहां लगभग 15 दिन की मोती पालन विषय पर ट्रेनिंग दी जाती है. जिसे सीखने के बाद कोई भी मोती पालन का काम शुरू कर सकता है.
इसकी खेती शुरू करने के लिए पानी की बेहतर व्यवस्था रखनी होगी.क्योंकि मोती बनाने वाले सीप ज्यादा पीएच वाले पानी में जिंदा नहीं रह पाते हैं.समय-समय पर सीप की स्थिति की जांच भी करते रहना होगा.मोती पालन का रोजगार शुरू करने के लिए एक 20 गुना 10 के तालाब की जरूरत होगी जिसकी गहराई लगभग 5-6 फीट हो.
मोती पालन के लिए वयस्क सीपों की जरूरत होगी. जिसे नदी,तालाब,नहर आदि जगहों से एकत्र किया जा सकता है.जिस आकर का मोती चाहिए उस हिसाब से बीज का चुनाव करना होता है.शल्य क्रिया द्वारा सीप के अंदर बीजों को डाला जाता है और 10 दिनों के लिए किसी नायलॉन के बैग में रखकर उसका निरीक्षण किया जाता है. इस दौरान उसे प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है और यदि कोई सीप मरता है तो उसे बाहर कर दिया जाता है.सीप के अंदर का जीव अपना भोजन खुद से नहीं बना सकता है. इसलिए उसे बाहर से आहार देना पड़ता है जैसे गोबर खाद और केले के छिलके इत्यादी.
आपको बता दें की एक मोती की कीमत दो सौ से दो हजार तक की होती है और अगर मोती उच्च गुणवत्ता का है तब इसकी कीमत लाखो तक हो सकती है.मोती एक प्राकृतिक रत्न है जो सीप के भीतर बनता है. सीप यानी घोंघे का घर. विशेषज्ञ बताते हैं कि एक सीप 2 मोती देता है.जिसकी औसत कीमत 100 रुपये हो सकती है.मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल समय शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है.मोती तैयार होने में लगभग 14 माह का समय लग जाता है.मोती की गुणवत्ता के अनुसार उसकी कीमत तय होती है.