पटना. किसानों को बिना भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र (एलपीसी) के कृषि योजनाएं देने पर सरकार विचार कर रही है. किसानों को सिर्फ जमीन की रसीद पर ही कृषि योजनाओं का लाभ देने की योजना है. इसके साथ ही कृषि योजनाओं में किसानों की ओर से दिये जाने वाले जीएसटी का भुगतान भी बिहार सरकार करेगी. इसके लिए भी योजना बनायी जा रही है. इन दोनों प्रस्तावों को कृषि विभाग की ओर से लाया जायेगा. उक्त दोन प्रस्ताव सोमवार को चतुर्थ कृषि रोड मैप में उद्यान से संबंधित विषयों पर चर्चा के दौरान आये. कृषि भवन में हुई बैठक में कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने उद्यान से संबंधित योजनाओं पर चर्चा करने के साथ राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आये उद्यान विभाग के सहायक निदेशकों व अधिकारियों से सुझाव भी लिये. उनकी समस्याएं भी सुनीं.
कृषि मंत्री ने कहा कि एलपीसी के अभाव में गरीब किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. एलपीसी बनाते-बनाते योजनाएं खत्म हो जाती हैं. इस कारण जमीन की रसीद पर ही कृषि योजनाओं का लाभ देने पर विचार किया जा रहा है. समीक्षा के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि कई जिलों में किसानों को योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं है. उन्होंने पदाधिकारियों को क्षेत्र भ्रमण करने का निर्देश दिया.
बैठक में गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन पर जोर दिया गया. इसकी मार्केटिंग का भी प्रस्ताव आया. इस दौरान बताया गया कि फसल/उत्पाद आधारित सात आदर्श बागवानी केंद्र बनाये जायेंगे. फल, फूल, मसाला, सुंगधित पौधों, चाय, मखाना, पान, अदरख, ओल, हल्दी आदि फसलों के क्षेत्र का विस्तार किया जायेगा. किसानों/एफपीसी को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो, इसके लिए राज्य में बाजार संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा.
कृषि मंत्री ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की कार्य पद्धति पर नाराजगी जतायी. कहा कि उनको सूचना मिल रही है कि बाहर से पौधे खरीदकर दिये जा रहे हैं. पौधों का उत्पादन नहीं हो रहा है. उन्होंने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में पौधों का उत्पादन कर वितरण करने का निर्देश दिया.
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बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के कृषि विभाग के 30 अफसरों पर कार्रवाई होगी. इनमें कई पर वित्तीय अनियमितता के भी आरोप हैं. जांच में गड़बड़ी पाये जाने के बाद इन अफसरों पर कार्रवाई की अनुशंसा विभाग की ओर से की गयी है. कार्रवाई की फाइल कृषि मंत्री को भेजे जाने की सूचना है. कृषि मंत्री के अनुमोदन के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी होगा. सूत्रों के अनुसार, इनमें कई अधिकारी गड़बड़ी करते रंगेहाथ पकड़े गये हैं. कई पर योजनाओं में हेराफेरी के भी आरोप हैं.
एसीपी का लाभ देने के लिए विभाग के पास 50 आवेदन आये थे. इनमें से 40 अफसरों के विभिन्न तरह की गड़बड़ियों में फंसे होने और अन्य त्रुटियों के कारण उनका दावा खारिज कर दिया गया. सिर्फ दस का आवेदन स्वीकृत किया गया है.