मुजफ्फरपुर जिला सहित उत्तर बिहार में शीतलहर का कहर जारी है. पिछले कुछ दिनों में इस वजह से फसलों व उद्यानिक फसलों को नुकसान होने लगा है. आलू में झूलसा रोग के साथ टमाटर और अन्य रबी फसल में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है. दूसरी ओर सरसों में लाही की समस्या से किसान परेशान है. कृषि विभाग के पास सब्जियों का फसल बर्बाद होने के बारे में शिकायतें पहुंचने लगी है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर से शीतलहर से फसलों को बचाने के लिये सुझाव दिया गया है.
टमाटर व अन्य फसलों को झूलसा रोग से बचाने के लिये 2.5 ग्राम डई-इथेन एम-45 फफूंदनाशक दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करने की सलाह दी गयी है. इस छिड़काव के 8 से 10 दिन बाद दोबारा रीडोमील दवा 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करना है.
शीतलहर को लेकर पशुओं में अलग-अलग तरह की बीमारी की शिकायतें बढ़ गयी है. ऐसे में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से कोल्ड वेब को लेकर एडवायजरी जारी की गयी है. बताया गया है कि भारत सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से भी इसको लेकर अलर्ट किया गया है. जिसमें बताया गया है कि पशुपालन बड़ी संख्या में परिवारों की आजीविका का हिस्सा ह. इस मौसम में पशुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
-
शीतलहर में पशुओं के बचाव को लेकर क्या करें
-
संतुलित नमक, खल्ली और गुड़ की अधिक मात्रा देना चाहिए
-
पशुओं के बिछावन के लिये सूखे पुआल की व्यवस्था
-
पशुओं को स्वच्छ नाद में हल्का गर्म पानी दिन में तीन से चार बार
-
बीमार, कमजोर व गर्भवती पशुओं का विशेष ध्यान
-
शीतदंश से बचाने के लिये पर्याप्त रोशनी व गर्मी प्रदान करने वाले उपकरण
-
पशुशाला को चारों ओर से ढ़क कर रखा जाये
-
शीतलहर में पशुओं को खुले में नहीं छोड़े
-
पशु मेला का आयोजन नहीं किया जाये
-
ठंडा भोजन व ठंडा पानी नहीं दे
-
पशुओं के चारागाह के रास्तें में पशु शवों
-
का निस्तारण नहीं करें
-
बीमार पशुओं की चिकित्सा फर्जी चिकित्सकों से नहीं करायें.
Also Read: Bihar: कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को देगा कई तोहफे, किसान भाई रेडियो से हो रही दिक्कतों का पा सकेंगे समाधान
प्रमंडलीय उप निदेशक अविनाश कुमार ने बताया कि झूलसा रोग के कारण 30 से 70 फीसदी तक उत्पादन प्रभावित हो सकता है. 10 से 15 डिग्री तापमान में इस रोग के बढ़ने का उपयुक्त समय है. इसके लिसे दो केजी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिये. सरसों के प्रबंधन में नीम आधारित कीटनाशी 5 से 6 मिली. लीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए.