भागलपुर. बड़ी खंजरपुर इलाके में रहने वाली वृद्धा हुस्नआरा ने अपने विक्षिप्त बेटे अली हसन (50) को पिछले 30 सालों से घर में बने एक छोटे कमरे में बने सलाखों में बंद कर रखा है. आज भी वह अपने बेटे की उसी लगन से सेवा करती है और हर वक्त उसे अपने आंखों के सामने देखती है. आर्थिक स्थिति के अनुरूप उन्होंने अपने बेटे का इलाज कराया पर वह ठीक नहीं हो सका. और अब गरीबी की वजह से वह अपने बेटे का उपचार करा पाने में असमर्थ है. सालों से अली हसन को सलाखों में बंद देख अब मोहल्ले वासियों ने सरकार से पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद करने की गुहार लगायी है.
विक्षिप्त अली हसन की वृद्ध मां हुस्नारा बताती हैं कि उनका बेटा अली हसन तीस साल पहले तक बिल्कुल स्वस्थ था. उस वक्त उसने काफी कर्ज लेकर सिलाई का काम शुरू किया था. पर काम ठीक से नहीं चलने की वजह से कमाई ठीक से नहीं हो पायी. उनके बेटे पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया. इसकी वजह से उनका बेटे की मानसिक स्थिति खराब होने लगी. एक दिन अचानक उनके बेटे ने मोहल्ले में उत्पात मचाना शुरू कर दिया. उन लोगों उसे डाॅक्टर को दिखाया. जिस पर डॉक्टर ने अली को मानसिक रूप से विक्षिप्त बता उसका इलाज कराने की बात कही. इसके बाद से मोहल्ले में कोई घटना न हो उसे घर में ही कैद कर रखना शुरू कर दिया. इस दौरान अली हमेशा घर से भाग निकलता था.
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वह कहीं लापता न हो जाये इसलिये उन्होंने उसे घर में एक छोटा से कमरे में लोहे की सलाखों के गेट को बनवा उसमें ही रखना शुरू कर दिया. जितना संभव हो सका उतना उन्होंने अली का इलाज कराया. पर अब उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि वह अपने बेटे के लिये कमरे में पंखा तक लगा पाने में असमर्थ है. वहीं अली के अन्य भाइयों की शादी हो चुकी है और वे लोग मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. वहीं हुस्नआरा आसपास के घरों में काम कर अपना और मानसिक रूप से कमजोर अपने बेटे का लालन पालन कर रही है. इधर मोहल्लेवासी फारुख ने बताया कि मोहल्ले के लोग भी जितना हो सकता है उतनी मदद अली को पहुंचाते हैं. पर अब वह अली के बेहतर इलाज के लिए सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.