गोपालगंज. पबजी गेम का नशा अब युवाओं की जान पर बन आया है. रविवार को दो अलग-अलग जगहों पर पिता ने मोबाइल फोन पर पबजी गेम खेलने की अनुमति नहीं दी, तो बेटों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की.
आनन-फानन में परिजन किशोर को सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने दोनों की हालत चिंताजनक बताते हुए बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. घटना के बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने पूरे मामले की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है.
हाल ही में एक शोध से पता चला है कि पबजी गेम के कारण युवा मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं. सदर अस्पताल में कुछ दिन पहले माता-पिता अपने बेटे का इलाज कराने पहुंचे थे. वहां पता चला कि युवक पबजी गेम खेलता है. रात-रात भर सोता नहीं है.
दिन में कोई काम नहीं करता. सिर्फ पबजी ही खेलता रहता है. ऑनलाइन गेम के कारण उसकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो गयी. बात-बात पर गुस्सा हो जाता. इस तरह एक नहीं, बल्कि सात से आठ केस सामने आ चुके हैं.
स्वास्थ्य विभाग के मनोचिकित्सक डॉ एसके प्रसाद का कहना है कि माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखें. उन्हें समझाएं कि जिंदगी वीडियो गेम नहीं है. अगर आपका बेटा रात भर नहीं सोता, तो उसका स्मार्ट फोन चेक करें.
छोटी-सी बात पर नाराज होता है या चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है, तो समझ जाइए कि वह मानसिक रूप से कहीं और व्यस्त है. हो सकता है कि वो मानसिक रोग की चपेट में आ रहा हो.
Posted by Ashish Jha