बिहार में NCTE से मान्यता प्राप्त सेल्फ फाइनेंस संस्थानों के लिए तय होगी फीस, शिक्षा विभाग ने बनाई कमेटी
एनसीटीइ वर्षों बाद इसके लिए शुल्क निर्धारित करने जा रहा है. अभी तक के हिसाब से विशेष रूप से निजी शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों से मनमाने तरीके से शुल्क वसूल करते रहे हैं. इसी के मद्देनजर शुल्क निर्धारित किया जा रहा है.
पटना. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीइ) से मान्यता प्राप्त स्व वित्त पोषित अथवा बिना किसी सरकारी सहायता के चल रहे संस्थानों के लिए शुल्क निर्धारित किया जाना है. शिक्षा विभाग के शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय ने इसके लिए तीन सदस्यों को गठित समिति में स्थान दिया है. यह समिति बहुत जल्दी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
शिक्षा विभाग ने बनाई कमेटी
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक समिति में भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय मुख्य कार्यालय के सहायक महाप्रबंधक शिव प्रकाश झा , पाटलिपुत्र स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स के निदेशक डॉ शंकर कुमार भौमिक और द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ पटना चैप्टर के चेयरमैन हरषिकेश कुमार शामिल किये गये हैं. एनसीटीइ ने शुल्क निर्धारण के लिए आदेश जारी किये हैं. एनीसीटीइ की 27वीं वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के मुताबिक बिहार के मान्यता प्राप्त सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों की संख्या 443 से अधिक है. इनमें 74650 सीटें हैं.
बिहार में अध्यापक शिक्षा के लिए 15 पाठ्यक्रम
एनसीटीइ के तहत बिहार में अध्यापक शिक्षा के लिए कुल 15 पाठ्यक्रम हैं. उदाहरण के लिए डीएलएड प्रारंभिक में दाखिले के लिए अनमोदित विद्यार्थियों की संख्या 31300 है. बीएड में माध्यमिक में 38500 , बीएड ओडीएल में 1500 और एमएमड में 1300 हैं. यह सीटें सरकारी और निजी संस्थानों में विभाजित हैं. इसमें अधिकतर सीटें स्व वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों से संबद्ध बतायी जाती हैं.
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वर्षों बाद निर्धारित होगा शुल्क
एनसीटीइ वर्षों बाद इसके लिए शुल्क निर्धारित करने जा रहा है. अभी तक के हिसाब से विशेष रूप से निजी शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों से मनमाने तरीके से शुल्क वसूल करते रहे हैं. इसी के मद्देनजर शुल्क निर्धारित किया जा रहा है. एनीसीटइ के तहत बिहार में डीएलएड और बीएड कोर्स संचालित किये जा रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का मूल उद्देश्य समूचे भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजित और समन्वित विकास करना करना है. इसके अलावा अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों और मानकों का विनियमन करना भी है. इसमें शुल्क भी शामिल है.