पूर्णिया. बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित शिक्षक चयन प्रतियोगिता परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया. इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित एक भव्य समारोह में मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री आफाक आलम ने 3689 नव चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा. नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में कई खास बातें नजर आयी. समारोह में ऐसे परिवार से भी मुलाकात हुई जिनके एक ही परिवार के तीन सदस्य भी इस नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में नियुक्ति पत्र लेने के लिए उपस्थित थे. इनमें दो भाई- बहन और एक उनके मामा जी.
दोनों ही नियोजित शिक्षक थे
भाई प्रशांत ने बताया कि वे अपनी बहन प्रिया के साथ प्रति दिन दो घंटे कम्पीटीशन एक्जाम की तैयारी किया करते थे. दोनों ही नियोजित शिक्षक थे तो शाम के बाद का समय उनके लिए ठीक था. दोनों आपस में पढ़ाई को लेकर खूब प्रतिस्पर्धा करते थे. इसी का परिणाम मिला कि दोनों ही एक साथ क्वालीफाई कर गये. वहीं उनके मामा ललित कुमार के लिए ये इस कम्पीटीशन में भाग लेने का अंतिम मौक़ा था. इसके बाद उनकी उम्र सीमा खत्म हो रही थी.
कई बार कम मार्क्स के आधार पर छंट चुके थे
ललित कहते हैं कि अगर बीपीएससी द्वारा शिक्षक चयन प्रतियोगिता नहीं आयोजित की जाती तो वे कभी शिक्षक नहीं बन पाते क्योंकि पहले वे कई बार कम मार्क्स के आधार पर छंट चुके थे. ललित का कहना है कि हमारे परिवार में उत्सव जैसा नजारा है. सभी लोग खुश हैं. प्रशांत और प्रिया का कहना है कि हमारे लिये यह नौकरी दिवाली की गिफ्ट की तरह है. इसके लिए सीएम नीतीश कुमार धन्यवाद के पात्र हैं.
व्हील चेयर पर आये अभ्यर्थी
समारोह में नवगछिया के नीरज ने दुर्घटना में पांव टूट जाने के कारण अपनी व्हील चेयर पर उपस्थित होकर नियुक्ति पत्र हासिल किया. बीपीएससी की परीक्षा के बाद दिल्ली में ये एक सड़क हादसे का शिकार हो गये थे. इसी बीच परिणाम आ गया. समय से पूर्व ही ऑपरेशन की स्टीच कटवाकर इन्होने तमाम प्रक्रियाओं में हिस्सा लिया और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. इनका चयन कंप्यूटर साईंस शिक्षक पद पर प्लस टू के लिए हुआ है. कहते हैं सारा गम दूर हो गया. इनकी पत्नी ऋचा रमण बिलकुल साए की तरह इनके साथ खड़ी रहतीं हैं. वैशाली की दिव्यांग श्वेता ने भी नियुक्ति पत्र हासिल कर ख़ुशी जाहिर की.
नियुक्ति पत्र मिलते ही भावुक हो गयीं
प्लस टू के लिए शिक्षिका के रूप में नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के बाद रूपम बेहद भावुक हो गयी. पूछने पर भरी आंखों से उन्होंने कहा कि ये तेरह वर्षों के संघर्ष का प्रतिफल है. बेहद खुश हूँ घर परिवार में ख़ुशी का माहौल है.
पहली बार में मिली सफलता
अमौर के जमशेद आलम ने उर्दू शिक्षक के पद पर नियुक्ति पत्र हासिल करने के बाद ख़ुशी का इजहार करते हुए कहा कि वे अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी पायी है. इसके लिए पूर्णिया में रहकर उन्होंने तैयारी की थी. पहली बार सीटेट में सफल हुए थे लेकिन बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक चयन प्रतियोगिता में सफलता हाथ आ गयी.