आनंद तिवारी, पटना. डॉक्टर इन दिनों असमंजस में है. दरअसल, इन दिनों एक साथ कई रोगों का प्रकोप बढ़ा है. कोरोना के बाद अब वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनया, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ी है. इन रोगों के शुरुआती लक्षण एक जैसे होते हैं.
आमतौर पर बुखार-जुकाम और दर्द-थकान जैसी समस्या सभी को हो रही है. ऐसे में डॉक्टर भी परेशान हैं कि लक्षणों के आधार पर मरीजों की कौन-सी जांच पहले करायी जाये? संबंधित लक्षण वाले मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है.
ओपीडी में रोजाना पहुंच रहे हजारों मरीज: डॉक्टरों का कहना है कि अगर सभी तरह की जांच कराएं, तो यह मरीजों की जेब पर भारी पड़ता है. इस तरह की समस्या सबसे अधिक प्राइवेट अस्पतालों में अधिक देखने को मिल रही है.
ऐसे में डॉक्टर कोरोना, ब्लड व यूरिन कल्चर और डेंगू की एलाइजा जांच अधिक कराने पर जोर दे रहे हैं. पीएमसीएच में रोजाना करीब 750 मरीज व बच्चे बुखार से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं. यही हाल पटना एम्स व गार्डिनर रोड अस्पताल का भी है.
बुखार,सिरदर्द, कंधे जाम होना, जोड़ों व शरीर में दर्द, अत्यधिक कमजोरी, शरीर में पानी की कमी, उलटी व दस्त होना, थकान महसूस करना.
बिना डॉक्टर के सलाह के ये दवाएं नहीं खाएं : एस्प्रिन, आइब्रप्रोफेन, डिस्प्रिन, डिक्लोफेनेक, एसीक्लोफेने, निमुस्लाइड.
गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि वायरल और मच्छरजनित रोग सितंबर से शुरू होकर नवंबर तक पीक पर होते हैं. ऐसे में दो महीने और सावधानी रखने की जरूरत है. साफ-सफाई, संतुलित खान-पान का ध्यान रखें. मच्छरों से बचाव करें. कहीं भी पानी न जमा होने दें.
पीएमसीएच में फिजियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि इन दिनों ओपीडी में वायरल बुखार से मिलते-जुलते मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. इसलिए कौन-सी जांच पहले करायी जाये, इसको लेकर कन्फ्यूजन हो रहा है.
पहले सीबीसी व यूरिन कल्चर कराते हैं. बीमारी का पता चल जायेगा, तो ठीक, नहीं तो सेकेंड राउंड में विडाल व थर्ड राउंड में स्टूल व लिवर के लिए एसजीपीटी आदि जांच के बाद बीमारी को पकड़ कर ठीक किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha