Loading election data...

2019 लोकसभा चुनाव में बिहार की इन 3 सीटों पर था जबरदस्त मुकाबला, जानिए कितना रहा था वोट का अंतर?

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने अपनी तैयारी में लगी है. सभी अपने अपने क्षेत्र में उतर पड़े हैं. वहीं अगर पिछले चुनाव की बात करें तो कई सीटों पर जीत का अंतर काफी कम था. जानिए इन सीटों के बारे में.

By Anand Shekhar | March 21, 2024 5:10 PM
an image

कैलाशपति मिश्र,पटना. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर देश के साथ-साथ बिहार में भी सरगर्मी तेज हो गयी है. सभी गठबंधन अपने-अपने हिसाब से जोड़-घटाव में लगे हुए हैं. एनडीए ने बिहार में अपने घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी है. जिन उम्मीदवारों के टिकट फाइनल हो गये हैं, वे अपने लोकसभा क्षेत्र में जनसंपर्क में भी लग गये हैं. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर जीत-हार के मार्जिन के आकलन से इस लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा संकेत मिल सकता है.

राज्य की लोकसभा सीटों पर जीत हार का मार्जिन कहीं चार लाख से अधिक, तो कहीं यह मार्जिन 50 हजार से भी कम थी. तीन सांसद जहां चार लाख से अधिक मार्जिन से चुनाव जीते थे, तो वहीं तीन सांसद महज 50 हजार से कम मार्जिन से. एक सीट पर तो जीत-हार का अंतर सिर्फ 1751 वोटों की थी.

सबसे कम वोट से जीत जहानाबाद लोकसभा सीट पर हुई थी

बिहार में जहानाबाद लोकसभा सीट हमेशा से एनडीए और महागठबंधन के बीच हॉट सीट रही है. पिछले चुनाव में यहां से जदयू के टिकट पर चंद्रेश्वर चंद्रवंशी ने चुनाव लड़ा था. उनकी लड़ाई राजद के सुरेंद्र यादव से थी. चंद्रवंशी को कुल 3,35,584 मत मिले थे, जबकि सुरेंद्र यादव को 3,33,833 मत. चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को 1751 मतों से जीत मिली थी. इस सीट पर माले की कुंती देवी को 26,325 और पूर्व सांसद अरुण कुमार को 34,558 मत मिले थे.

किशनगंज लोकसभा सीट

किशनगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस के डॉ मो जावेद 34,466 मत से चुनाव जीते थे. उन्हें 3,66,820 मत मिले थे, जबकि जदयू के सैयद मो अशरफ को 3,32,325 मत मिले. किशनगंज चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम रही. एआइएमआइएम के उम्मीदवार और वर्तमान विधायक अख्तरुल इमाम को 295029 वोट मिले थे.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट

2019 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट भी सुर्खियों में थी. यहां से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने चुनाव लड़ा था. दूसरी ओर से कभी लालू प्रसाद के निकट सहयोगी रहे रामकृपाल यादव दूसरी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में थे. इस चुनाव में रामकृपाल यादव की जीत 39321 मतों से हुई थी. रामकृपाल यादव को 509557 मत और मीसा भारती को 470236 मत मिले थे.

जहां जीत 50 हजार से एक लाख के बीच के मतों से हुई थी

लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के जिन तीन लोकसभा सीटों पर जीत 50 हजार से एक लाख के बीच मतों से हुई थी, उनमें कटिहार, काराकाट और औरंगाबाद की सीट शामिल थी. कटिहार में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी को 558984 और कांग्रेस के तारीक अनवर को 502044 मत मिले थे. गोस्वामी की जीत 57206 मतों से हुई थी.

वहीं काराकाट में जदयू के महाबली सिंह को 398408 और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को 313866 मत मिले थे. महाबली सिंह 84542 मतों से जीते थे. औरंगाबाद में भाजपा के सुशील कुमार सिंह को 426116 और हम के उपेंद्र प्रसाद को 357169 मिले थे. सुशील कुमार सिंह की जीत 70552 वोटों से हुई थी.

चार लाख से अधिक मतों से जीतने वाले सांसद

सांसद का नामलोकसभा क्षेत्रकितने वोटों से जीतेपार्टी
अशोक यादवमधुबनी454490भाजपा
गिरिराज सिंहबेगूसराय422217भाजपा
अजय निषादमुजफ्फरपुर409988भाजपा

सबसे कम मतों से जीतने वाले सांसद

सांसद का नामलोकसभा क्षेत्रकितने वोटों से जीतेपार्टी
चंद्रेश्वर चंद्रवंशीजहानाबाद1751जदयू
डॉ.जावेदकिशनगंज34466कांग्रेस
रामकृपाल यादवपाटलिपुत्र39321भाजपा

देश में सबसे अधिक मतों से जीतने वाले सांसद

सांसद का नामलोकसभा क्षेत्रकितने वोटों से जीतेपार्टी
सीआर पाटिलनवसारी, गुजरात689668भाजपा
सुभाष बहेड़ियाभीलवाड़ा,राजस्थान612000भाजपा
रंजनबेन भट्टवडोदरा,गुजरात589177भाजपा

देश में सबसे कम मतों से जीतने वाले सांसद

सांसद का नामलोकसभा क्षेत्रकितने वोटों से जीतेपार्टी
भोलानाथमछलीशहर,यूपी181भाजपा
अपरूपा पोद्दारआरामबाग,प.बंगाल1142तृणमूल कांग्रेस
अर्जुन मुंडाखूंटी,झारखंड1445भाजपा

Also Read : लोकसभा चुनाव 2024: बिहार में ‘भाभी जी’ को मिली बड़ी जिम्मेदारी, घर-घर जाकर मतदाताओं को करेंगी जागरूक

Also Read :चुनाव को लेकर सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए बिहार के नेता, बनाया प्रचार का हथियार, जानें किसके हैं कितने फॉलोअर्स


2009 में अस्तित्व में आया सुपौल, जदयू के विश्व मोहन बने थे पहले सांसद

अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सुपौल लोकसभा क्षेत्र 2009 में सहरसा से काटकर स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आया. इससे पहले सुपौल सहरसा लोकसभा के अधीन था. जदयू के विश्व मोहन कुमार ने सहरसा के तत्कालीन सांसद रंजीत रंजन को पराजित कर सुपौल लोकसभा से पहला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया.

वर्ष 2014 में देशव्यापी मोदी लहर में रंजीत रंजन ने जदयू के दिलेश्वर कामैत व भाजपा के कामेश्वर चौपाल को पटकनी देकर सुपौल से पहली महिला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. पांच वर्षों तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के बाद 2019 के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार दिलेश्वर कामैत ने रंजीत रंजन को पराजित कर हिसाब बराबर कर लिया.

अति पिछड़ा व यादव का गढ़

सुपौल के 05 व मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर विधानसभा को मिलाकर बना सुपौल लोकसभा क्षेत्र अति पिछड़ा व यादव का गढ़ माना जाता है. यही कारण है कि इस लोकसभा क्षेत्र पर कभी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन जीत दर्ज करती है, तो कभी अति पिछड़ा वर्ग के विश्व मोहन कुमार व दिलेश्वर कामैत.

तीन चुनावों की स्थिति

वर्षउम्मीदवार (पार्टी)कितने वोट मिले
2009विश्व मोहन कुमार (जदयू)03,13,677
2009रंजीत रंजन (कांग्रेस)01,47,602
2014रंजीत रंजन (कांग्रेस)03,32,927
2014दिलेश्वर कामैत (जदयू)02,73,255
2019दिलेश्वर कामैत (जदयू)05,97,377
2019रंजीत रंजन (कांग्रेस)03,30,524

Also read : लोकसभा चुनाव 2024: पश्चिमी चंपारण में जातीय गणित के बाजीगर के हाथ में होगी जी


कांग्रेस के गढ़ में समाजवादियों व भाजपा ने लगायी थी सेंध

कटिहार का बिहार की राजनीति में जबरदस्त दखल रहा है. कटिहार की जनमत की चर्चा देश भर में होती रही है. वर्तमान में इस लोकसभा सीट से जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद हैं. एनडीए में यह सीट एक बार फिर जदयू के पास ही है. कटिहार लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र है. जिसमें दो पर कांग्रेस, दो पर भाजपा, एक सीट जदयू व एक सीट भाकपा माले के कब्जे में है. संसदीय चुनाव में कटिहार में मुद्दों पर जातीय गोलबंदी हावी रहती है. यही गोलबंदी जीत-हार का निर्णय करती है. खासकर इस सीट पर बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक फैक्टर अधिक हावी रहता है.

जब देश में कांग्रेस की लहर थी, तब वर्ष 1962 में इस लोकसभा सीट से धारा के विपरीत प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र प्रिया गुप्ता ने जीत का परचम लहराया था. बाद में फिर यह सीट कांग्रेस व समाजवादियों का गढ़ बन गयी. वर्ष 1971 में बीजेएस से ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव व जनता पार्टी की लहर के समय 1977 में बीएलडी से युवराज यहां के सांसद बने. इस सीट से तारिक अनवर पांच बार सांसद निर्वाचित हुए. तारिक चार बार 1980, 1984, 1996 व 1998 में कांग्रेस से चुनाव जीते थे.

वर्ष 2014 में मोदी लहर में भी वह एनसीपी से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. वर्ष 1999 में इस सीट पर भाजपा की इंट्री हुई. भाजपा से निखिल कुमार चौधरी 1999, 2004 व 2009 में लगातार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वर्ष 2019 के चुनाव में एनडीए में शामिल जदयू ने यह सीट भाजपा से छीनकर दुलाल चंद्र गोस्वामी को अपना उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस के तारिक अनवर को हराकर दुलाल पहली बार संसद पहुंच गये.

कटिहार में अब तक के सांसद

  • 1957- अवधेश कुमार सिंह-कांग्रेस
  • 1962- प्रिया गुप्ता- पीएसपी
  • 1967- सीताराम केसरी- कांग्रेस
  • 1971- ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव- बीजेएस
  • 1977- युवराज- बीएलडी
  • 1980- तारिक अनवर- कांग्रेस
  • 1984- तारिक अनवर- कांग्रेस
  • 1989- युवराज- जनता दल
  • 1991- मो यूनुस सलीम- जनता दल
  • 1996- तारिक अनवर- कांग्रेस
  • 1998- तारिक अनवर- कांग्रेस
  • 1999- निखिल कुमार चौधरी-भाजपा
  • 2004- निखिल कुमार चौधरी- भाजपा
  • 2009- निखिल कुमार चौधरी- भाजपा
  • 2014- तारिक अनवर- एनसीपी
  • 2019- दुलाल चंद्र गोस्वामी- जदयू

Also Read : राजनीति में ज्योतिष: लोकसभा चुनाव 2019 में तुला, कुंभ, मीन व मेष राशि के प्रत्याशियों की चमकी थी किस्मत


जाति के आधार पर वोट मांगना, प्रत्याशी के लिए पड़ेगा महंगा

लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर सभी दलों में बड़ी उत्सुकता रही. इसको लेकर दल लोग जाति आधारित गणना को अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की बात भी कर रहे हैं. इधर, बिहार सहित देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है. ऐसे में भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और स्टार प्रचारकों के लिए स्पष्ट एडवाइजरी जारी की है.

इसमें कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी मतदाताओं से जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर वोट मांगने के लिए अपील नहीं करेंगे. नेताओं और पार्टियों को ऐसी किसी भी गतिविधि नहीं करनी होगी, जो विभिन्न जाति, समुदाय, धार्मिक या भाषायी समूहों के बीच मौजूदा अंतरों को बढ़ाये या आपसी घृणा पैदा करे या तनाव पैदा करनेवाला हो.

अपने भाषणों में किसी पर व्यक्तिगत हमले नहीं करें

  • आदर्श आचार संहिता के लागू होने के बाद राजनीतिक दल और नेताओं को मतदाताओं को भ्रमित करने के उद्देश्य से बिना तथ्यात्मक आधार पर बयान नहीं देना है.
  • कोई भी नेता असत्यापित आरोपों के आधार पर झूठा बयान नहीं देंगे. साथ ही इस प्रकार से दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से परहेज करेंगे.
  • दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के उस पहलू की आलोचना नहीं की जानी चाहिए, जिसका सार्वजनिक कार्यकलापों से संबंध नहीं हो.
  • अपने विरोधियों के खिलाफ निम्न स्तर के व्यक्तिगत हमले नहीं किये जा सकते हैं.
  • अपने चुनावी प्रोपगेंडा या प्रचार के लिए किसी भी मंदिर, मस्जिद,चर्च, गुरुद्वारा या पूजा के किसी भी स्थान का उपयोग नहीं किया जायेगा. ऐसे संदर्भ भी नयी दिये जायेंगे जो भक्त और देवताओं के बीच संबंधों की खिल्ली उड़ाये या दैवी प्रकोप का संकेत दे.
  • राजनीतिक दलों को ऐसे किसी भी कृत्य या कथन से अलग रहना चाहिए जो महिलाओं की प्रतिष्ठा और उनके सम्मान के खिलाफ हो.
Exit mobile version