बिहार के सभी जिलों में यूरिया की किल्लत है. प्रदेश में घंटों कतार में रहने पर भी किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है. किसान गेहूं की पटवन करने के बाद खेत में यूरिया डालने के लिए इधर-उधर भटक रहे है. सरकारी गोदामों से तो दूर अब बाजारों से भी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जहां-तहां खाद मिल भी रहा है तो उसका दाम सरकारी मूल्य से कई गुना अधिक है. यूरिया पाने के लिए इस कड़ाके की ठंड में किसान कई-कई घंटे लाइन में लग कर इंतजार कर रहे है. प्रदेश में पड़ रही हाड़ कपाने वाली इस ठंड के बीच बिस्कोमान केंद्रों पर सुबह से घर का कामकाज छोड़कर महिलाएं कतार में खड़ी हो जा रही है. इसके बाद भी उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रही है.
बक्सर जिले को यूरिया का आवंटन प्राप्त होते ही बिस्कोमान केंद्रों पर काफी संख्या में महिलाएं उमड़ पड़ी. घर का कामकाज छोड़कर महिलाएं घने कोहरे के बीच सुबह बिस्कोमान पहुंचकर कतार में लग गयी. यूरिया की किल्लत को लेकर बक्सर व इटाढ़ी बिस्कोमान केंद्र जैसे ही किसानों में मारामारी शुरू हुई. वैसे ही महिलाएं कतार में लग गयी. सुबह के आठ बजते-बजते बिस्कोमान केंद्रों पर जुटी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस-प्रशासन को बुलाना पड़ा. प्रशासन की देखरेख में यूरिया का वितरण किया गया.
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बक्सर में 54 एमटी, चौसा 40 एमटी, इटाढ़ी में 83 एमटी, राजपुर में 109 एमटी, सिमरी में 66 एमटी, चक्की में सात एमटी, ब्रह्मपुर में 71 एमटी, नावानगर में 75 एमटी, डुमरांव में 66 एमटी, चौगाईं में 21 एमटी यूरिया शुक्रवार को जैसे ही आवंटन हुआ. वैसे ही शनिवार की सुबह में महिला सहित पुरुष लाइन में लग गये. कतार में लगी महिलाओं का कहना है कि सरकार किसान के प्रति ध्यान नहीं दे रही है. नहीं तो हम सबको घर के काम छोड़कर लाइन में नहीं लगना पड़ता. महिलाओं का शासन-प्रशासन से सवाल है कि आवंटन के बावजूद आखिर यूरिया होता क्या है.