बिहार में साढ़े तीन लाख किसानों की फाइलें मुख्यालय में अटकीं, जानें किस स्तर पर कितने आवेदन लंबित

13 जनवरी तक कृषि इनपुट अनुदान के करीब नौ लाख से अधिक आवेदन कृषि समन्वयक के स्तर पर लंबित थे. इसके बाद कृषि समन्वयकों ने तेजी दिखायी, लेकिन कृषि मुख्यालय में आवेदनों के निबटारे में अभी तेजी नहीं आयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 5, 2022 7:39 AM
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कृषि मुख्यालय:- 3,52,208

एडीएम:- 68,092

जिला कृषि पदाधिकारी:- 36,727

पटना. ” साहब! बिटिया की शादी है. बाढ़ में फसल डूब गयी थी. आस थी कि सरकार से कृषि इनपुट का जो पैसा मिलेगा, उससे कुछ राहत मिल जायेगी. बिटिया की शादी की तारीख आ चली है, लेकिन फसल की क्षतिपूर्ति का पैसा अब तक नहीं मिला है.” छपरा निवासी दीनदयाल उन लाखों किसानों में से एक हैं, जो सरकारी इमदाद का इंतजार कर रहे हैं. खरीफ सीजन 2021-22 के कृषि इनपुट अनुदान के लिए 30 जिलों के 22 लाख 27 हजार 28 किसानों ने आवेदन किया था. अब तक आठ लाख 62 हजार 592 किसानों के ही बैंक खातों में राशि पहुंची है. चार लाख 57 हजार आवेदन जिला कृषि पदाधिकारी, एडीएम और कृषि मुख्यालय के स्तर पर लंबित हैं. इनमें साढ़े तीन लाख से अधिक आवेदन कृषि मुख्यालय पर लंबित हैं.

यह स्थिति तब है, जबकि कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने 13 जनवरी को इस मामले की समीक्षा की थी. बैठक में उन्होंने कृषि सचिव डॉ एन सरवण कुमार, निदेशक सावन कुमार और मुख्यालय के सभी संयुक्त निदेशकों को स्पष्ट तौर पर कहा था कि ” कृषि इनपुट के आवेदन लंबित रखने पर अफसरों पर कार्रवाई की जाये. कृषि सचिव व निदेशक फील्ड में जाएं और किसानों की समस्याओं का निस्तारण करें.

13 जनवरी तक कृषि इनपुट अनुदान के करीब नौ लाख से अधिक आवेदन कृषि समन्वयक के स्तर पर लंबित थे. इसके बाद कृषि समन्वयकों ने तेजी दिखायी, लेकिन कृषि मुख्यालय में आवेदनों के निबटारे में अभी तेजी नहीं आयी है. कृषि विभाग के आकलन के मुताबिक, राज्य में बाढ़ और बारिश से करीब 998.11 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पीड़ित पंचायतों के किसानों से कृषि इनपुट अनुदान का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग ने ऑनलाइन आवेदन मांगे थे. परती भूमि से हुई क्षति के लिए 17 जिलों के 149 प्रखंडों के 2131 पंचायतों के किसानों को भी कृषि इनपुट अनुदान का लाभ दिया जाना है.

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पांच जनवरी तक करना था सत्यापन

सरकार ने सत्यापन के लिए पांच जनवरी तक की समय सीमा तय की थी. कृषि समन्वयक को 23 दिसंबर तक आवेदन का सत्यापन करना था. जिन जिलों में आवेदन एक लाख से अधिक है, उन्हें सत्यापन के लिए 12 दिन अलग से दिये गये थे. बाकी जिलों को भी एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसानों को विभिन्न योजनाओं का समय से लाभ देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. इसमें देरी या लापरवाही करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जायेगी.

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