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बिहार विधानमंडल का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र छह नवंबर से, पांच बैठकें होंगी, 10 तक चलेगा सत्र

शीतकालीन सत्र के दौरान विधानमंडल के सत्र नहीं रहने की अवधि में राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों की प्रतियों को सदन पटल पर रखा जायेगा. इसके साथ ही सत्र के पहले दिन 2023-24 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी का उपस्थापन किया जायेगा.

पटना. बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र छह नवंबर से आरंभ होगा. सत्र के दौरान पांच बैठकें होगी. राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद सोमवार को संसदीय कार्य विभाग ने इसकी विधिवत अधिसूचना जारी कर दी है. शीतकालीन सत्र के दौरान विधानमंडल के सत्र नहीं रहने की अवधि में राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों की प्रतियों को सदन पटल पर रखा जायेगा. इसके साथ ही सत्र के पहले दिन 2023-24 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी का उपस्थापन किया जायेगा.

सात और आठ नवंबर को राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्य होंगे

शीतकालीन सत्र में सात और आठ नवंबर को राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्य होंगे. नौ नवंबर को 2023-24 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर वाद विवाद, मतदान और उससे संबंधित विनियोग विधेयक पास किया जायेगा. शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन 10 नवंबर को गैर सरकारी सदस्यों के कार्य (गैर सरकारी संकल्प) को पूरा किया जायेगा. संसदीय कार्य विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है.

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पेश होगा जाति अधारित गणना के आंकड़े

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि जाति अधारित गणना के आंकड़े शीतकालीन सत्र के दौरान विधानमंडल के पटल पर रखे जाएंगे. इसके अलावा कई राजकीय विधेयक लाए जाने की भी बात कही जा रही है. सीएम नीतीश ने यह भी कहा है कि राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर अंतिम फैसला विधानमंडल में चर्चा के बाद ही लिया जाएगा.

सर्वे रिपोर्ट पर सदन में विस्तृत चर्चा जरूरी

जातीय जनगणना की रिपोर्ट विधानमंडल के दोनों सदनों में रखा जाएगा. वहां विभिन्न दलों के सदस्य अपनी राय रखेंगे, उसके बाद ही आरक्षण को लेकर फैसला लिया जाएगा. सीएम ने यह भी कहा था कि जाति आधारित गणना सभी पार्टियों की आम सहमति से कराई गई है. इसलिए सर्वे रिपोर्ट पर भी सदन में विस्तृत चर्चा जरूरी है. चर्चा में अलग अलग जाति से आने वाले विधायक बहस में हिस्सा लेंगे, अपने विचार रखेंगे. सभी की बातों पर ध्यान देने के बाद ही सरकार अंतिम फैसला लेगी.

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