खजूरबानी शराबकांड में बर्खास्त पांच पुलिसकर्मियों को पटना हाइकोर्ट ने किया बहाल, बकाया वेतन देने का दिया आदेश

बेंच ने पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के 15 जून, 2020 के बर्खास्तगी आदेश को सेट एंड साइट करते हुए कहा कि डीजीपी का आदेश तथ्यहीन व लोगों के आक्रोश को कम करने वाला है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2021 11:22 AM

गोपालगंज. खजूरबानी शराबकांड के मामले में हाइकोर्ट ने पुलिस अधिकारी समेत पांच कर्मियों की सेवा तत्काल बहाल करने व बर्खास्तगी के दिन से ही वेतन व अन्य लाभ देने का आदेश दिया है.

आर्म्स गार्ड अनंजय सिंह आदि की याचिका की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के जज चक्रधारी शरण सिंह की बेंच ने पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के 15 जून, 2020 के बर्खास्तगी आदेश को सेट एंड साइट करते हुए कहा कि डीजीपी का आदेश तथ्यहीन व लोगों के आक्रोश को कम करने वाला है.

पुलिस मैनुअल 2007 व सीसीए रूल के तहत नहीं है. बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता वाइवी गिरि ने गुरुवार को बताया कि हाइकोर्ट ने पांच केसों में सुनवाई करते हुए कहा कि बर्खास्तगी के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया.

पूरा ऑर्डर बिहार पुलिस एक्ट के खिलाफ है. हाइकोर्ट के आदेश से सब इंस्पेक्टर अमित कुमार, नगर थाने में पदस्थापित मुंशी (एएसआइ) गुलाम मोहम्मद व आर्म्स गार्ड रहे अनंजय सिंह समेत पांच लोगों को तत्काल राहत मिल गयी है.

खजूरबानी जहरीली शराबकांड में सारण रेंज के डीआइजी विजय कुमार वर्मा की अनुशंसा पर डीजीपी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन दारोगा, पांच जमादार समेत 21 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया था.

एक साथ पांच मामलों में आया फैसला

खजूरबानी कांड में बर्खास्त एसआइ अमित कुमार सिंह, एएसआइ गुलाम मोहम्मद, आर्म्स गार्ड अनंजय सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों की ओर से वरीय अधिवक्ता वाइवी गिरि, आशीष गिरि व संजय गिरि ने रिट याचिका दायर की थी.

इसमें सरकार की पक्ष से पीके वर्मा, सरोज कुमार शर्मा, जीपी -4 मनीष कुमार व रवि वर्मा की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने डीजीपी के आदेश को रद्द कर दिया.

क्या है खजूरबानी कांड

नगर थाना क्षेत्र के खजूरबानी मोहल्ले में 15-16 अगस्त, 2016 को जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गयी थी. इसके बाद उत्पाद व पुलिस अधिकारियों ने खजूरबानी में छापेमारी कर भारी मात्रा में जहरीली शराब बरामद की थी.

तत्कालीन सदर इंस्पेक्टर निगम कुमार वर्मा ने मौत के मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी थी, तो तत्कालीन नगर इंस्पेक्टर बीपी आलोक ने शराब बरामदगी मामले में एफआइआर करायी थी. मुख्य आरोपित को छोड़कर सभी आरोपित जेल जा चुके हैं. दोनों केस में पुलिस न्यायालय में अपना अंतिम प्रतिवेदन सौंप चुकी है.

Posted by Ashish Jha

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