पांच वर्षीय रौशनी कोर्ट के कड़े रुख के बाद जालायेगी शिक्षा की अलख,न्यायाधीश की सख्ती के बाद जगा प्रशासन
Rohtas news: दंपति प्रियंका देवी व धीरज चौहान मंडल कारा सासाराम में बंदी है.जहां उनके साथ 5 वर्षीय पुत्री भी साथ रह रही है.
रोहतास. मंडल कारा सासाराम में अपने माता पिता के साथ रह रही ‘रौशनी’ अब अदालत की सख्ती के बाद बिखरेगी शिक्षा की रोशनी. रोहतास जिला के नोखा वार्ड-14 के रहने वाले एक युवक के अपहरण और हत्या मामले में औरंगाबाद जिले के दंपति प्रियंका देवी व धीरज चौहान मंडल कारा सासाराम में बंदी है.जहां उनके साथ 5 वर्षीय पुत्री भी साथ रह रही है.व्यवहार न्यायालय सासाराम के न्यायाधीश मनोज कुमार की सख्ती के बाद पांच वर्षीय रौशनी की शिक्षा की उम्मीद जगी है.
न्यायाधीश ने बच्ची की पढ़ाई-लिखाई केलिए जारी किया आदेश
बीते सात जून को अदालत में दंपति के पेशी के दौरान साथ में मौजूद बच्ची पर व्यवहार न्यायालय सासाराम के न्यायाधीश मनोज कुमार की नजर पड़ते ही पूछताछ शुरू हुई. पूछताछ के बाद न्यायाधीश ने उक्त बच्ची को मानसिक विकास पढ़ाई लिखाई के लिए आदेश जारी कर दिया.मामला यहीं नहीं थमा .इस मामले में अदालत ने कड़े रुख अपनाते हुए बच्ची के सर्वांगीण विकास और मूल अधिकार की रक्षा के लिए सीडब्ल्यूसी एवं जेल अधीक्षक को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि कर्तव्यों का पालन करना सुनिश्चित करेंगे.
दस दिन के अंदर ही बच्ची का नामंकन हुआ आंगनवाड़ी केंद्र
न्यायाधीश ने रोहतास डीएम-जेल अधीक्षक और सीडब्ल्यूसी को आदेश की प्रति करवाई के लिए भेजा दिया.जिसके बाद हड़कंप मच गया और महज 10 दिनों में ही आंगनबाड़ी केंद्र बसंतपुर में बच्ची को नामांकन कराया गया.नामांकन होने पर सुरक्षा व्यवस्था के साथ जेल में रह रही रौशनी अब शिक्षा की रोशनी बिखरने के लिए मंडल कारा सासाराम में तैनात पुलिसकर्मी के साथ आंगनबाड़ी केंद्र बसंतपुर अपनी पढ़ाई के लिए जा रही है.
बच्चीको आंगनवाड़ी केंद्र पर मिल रही सारी सुविधाएं
बच्ची के साथ मौजूद मंडल कारा सासाराम के पदस्थापित पुलिसकर्मी दीपक कुमार ने बताया कि कोर्ट तथा जेल अधीक्षक के निर्देश के बाद बच्ची को आंगनबाड़ी केंद्र बसंतपुर पढ़ाई लिखाई के लिए प्रतिदिन ले जाया जाता है.आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र बसंतपुर सासाराम के सेविका सीमा कुमारी ने बताया कि मंडल कारा सासाराम से बच्ची आंगनबाड़ी केंद्र बसंतपुर लाया जाता है जहां उसे सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है.
इनपुट-दयानंद तिवारी