Flood Update: बिहार में कई नदियां उफान पर है. इस कारण लोगों की चिंता बढ़ गई है. बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी रहने से मुजफ्फरपुर शहर के अखाड़ाघाट स्थित झील नगर से लेकर आश्रम घाट, कर्पूरी नगर, लकड़ीढाई के आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का पानी फैलता जा रहा है. बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में बीते 24 घंटे में 24 सेमी की वृद्धि हुई है. हालांकि, अभी यह खतरे के निशान से 1.92 मीटर नीचे 50.61 मीटर पर है. जलस्तर में वृद्धि होने से अमरूद बगान, जाकरिया कॉलोनी, अखाड़ाघाट, मिठनसराय, विजय छपरा, अब्दुल नगर उर्फ माधोपुर, लकड़ी ढाई, मुक्ति धाम, शेखपुर ढाब, हनुमंत नगर, चंदबरदाई नगर, बालूघाट, चंदवारा व जीरोमाइल के इलाकों में घरों में पानी घुस सकता है. नदी का तेवर देख लोगों में अफरा-तफरी की स्थिति है. निचले इलाके में रहने वाले परिवार घर छोड़ कर अन्यत्र विस्थापित होने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं.
नेपाल समेत पश्चिम चंपारण जिले में हुई भारी बारिश के कारण जिले से गुजरने वाली नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. बागमती के जलस्तर में कमी के बावजूद कटौझा में यह खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. अनुमान है कि अगले दो-तीन दिन में तेजी से जलस्तर में कमी आयेगी. जल संसाधन विभाग, गंडक, आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों पर नजर रख रही हैं. देर शाम एनडीआरएफ की टीम ने मोटर बोट से नदी किनारे बसावट का जायजा लिया. आश्रम घाट के कई सीढ़ी पानी में डूब गयी है. कमोबेश यही स्थिति सीढ़ी घाट की भी है. इस कारण लोगों की परेशानी बढ़ चुकी है.
भागलपुर में गंगा का जलस्तर पिछले 24 घंटे में 20 सेंटीमीटर बढ़ा है. गुरुवार को बढ़ोतरी के साथ यह 32.80 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गया है. हालांकि, यह अभी खतरे के निशान से 88 सेंटीमीटर नीचे है. खतरे का निशान 33.68 मीटर निर्धारित है. केंद्रीय जल आयोग ने गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी की संभावना जतायी है.
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बागमती के जलस्तर में कमी होने के बाद कटरा बागमती नदी पर बने पीपा पुल से पैदल व दोपहिया वाहनों का परिचालन शुरू हो गया है. बताया जाता है कि जलस्तर में और कमी होने के बाद पुल से चारपहिया वाहनों का परिचालन शुरू कराया जाएगा. जलस्तर में कमी होने के बाद प्रखंड के उतरी हिस्से की 14 पंचायत के लोगों ने राहत की सांस ली है. बाढ़ प्रभावित लोग बताते है कि पानी तो घरों से निकल रहा है, लेकिन घरों में कीचड़ हो जाने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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बागमती नदी के जलस्तर में लगातार कमी जारी रही. विस्थापित परिवार तटबंधों से धीरे-धीरे गांव की ओर लौटने लगे हैं. लोग साफ सफाई में जुट गए हैं, जबकि, लखनदेई नदी में सीतामढ़ी के सैदपुर होते हुए पांच से छह फुट की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, इससे किसी भी गांव काे कोई नुकसान नहीं हुआ है. नदी की पेटी के अंदर पानी होने की वजह से लोगों को तटबंध के किनारे साग सब्जियों के साथ खरीफ फसलों को पटवन करने में काफी सुविधा हुई है. औराई के राजखंड कोरियाही, मधुबन वेसी, घनश्यामपुर, नयागांव पंचायत के कई गांवों में साग सब्जी की खेती किसानों ने आरंभ कर दी है. बताया जाता है कि लखनदेई नदी के किनारे बसे लोग एक बार फिर से कृषि कार्य में जुट गए हैं. इस बार अपनी पहली दफा जोंका व मनुषमारा नदी में एक बूंद भी पानी नहीं आया है.
कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से मदरौनी, कोसकीपुर सहोड़ा, सधुआ चापर पंचायत में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ का पानी लोगों के खेतों व घरों में घुस गया है. मदरौनी पंचायत के लगभग पांच सौ घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ का पानी मदरौनी के गोढ़ियारी टोला, नासी टोला, पूर्वी टोला, ठाकुर टोला में घुस गया है. सहोड़ा पंचायत में बाढ़ पीड़ित परिवार रेलवे लाइन के किनारे व सड़क किनारे शरण लिये है. सधुआ चापर पंचायत में लगभग एक हजार घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. पीड़ित परिवार कटरिया स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर शरण ले रहे हैं. कुछ परिवार त्रिमुहानी तटबंध पर शरण लिए हैं. बाढ़ से निबटने के लिए पूर्व में ही बैठक कर तैयारी की गयी थी. बाढ़ का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर गया. बाढ़ प्रभावित परिवार को पीने का पानी, शौचालय की व्यवस्था नहीं है. गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि से तिनटंगा दियारा दक्षिण पंचायत के उसरेहिया गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. गांव के लोग परिवार सहित ऊंची जगहों पर शरण लेने जा रहे हैं.