बाढ़ ने बिहार के किसानों को किया तबाह, छह जिलों में 88 करोड़ का गन्ना बर्बाद, इस जिले को हुआ ज्यादा नुकसान

प्रदेश में आयी बाढ़ के चलते छह जिलों में करीब 88 करोड़ रुपये की गन्ने की खेती बर्बाद हुई है. फसल क्षति की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित हजारों किसानों को फसल इनपुट दिया जायेगा. बाढ़ से 48781 हेक्टेयर रकबे में फसल का नुकसान हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 27, 2021 12:42 PM

पटना . प्रदेश में आयी बाढ़ के चलते छह जिलों में करीब 88 करोड़ रुपये की गन्ने की खेती बर्बाद हुई है. फसल क्षति की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित हजारों किसानों को फसल इनपुट दिया जायेगा. बाढ़ से 48781 हेक्टेयर रकबे में फसल का नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान चंपारण क्षेत्र में हुआ है.

गन्ना उद्योग विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि विभाग की तरफ से किये गये सर्वे में प्रदेश की 1054 पंचायतों में गन्ने की खेती सीधे तौर पर बाढ़ से प्रभावित हुई है. यह सभी पंचायतें कुल 79 प्रखंडों के दायरे में आती हैं. गन्ना उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में हालिया बैठक में इस रिपोर्ट पर गहन विचार- विमर्श किया गया.

इनपुट सब्सिडी के लिए जरूरी प्रतिवेदन कृषि विभाग को सौंपा जायेगा. जानकारी के मुताबिक चीनी मिल क्षेत्रवार कृषकों को प्री कैलेंडर का वितरण 31 अक्तूबर तक हर हाल में कर दिया जायेगा.

प्री कैलेंडर वितरण के बाद प्राप्त होने वाली शिकायतों का निबटारा प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा.अगर सर्वेक्षण के दौरान किसी किसान का गन्ना क्षेत्रफल छूट गया है अथवा गलत अंकित हो गया है , तो ऐसे किसान शिकायत कर सकते हैं. इन शिकायतों के निराकरण के लिए एक समिति भी बनायी गयी है.

फसल क्षति का ब्योरा एक नजर में

जिला प्रभावित प्रखंड प्रभावित पंचायत क्षति (हेक्टेयर में ) नुकसान लाख (रुपये में)

  • समस्तीपुर 18 381 1943.30 349.79

  • पश्चिमी चंपारण 18 315 34368 6186.25

  • बेगूसराय 13 103 990 178.20

  • पूर्वी चंपारण 20 186 9833 1770

  • बक्सर 8 59 100 0.81

  • गोपालगंज 2 10 1646 296.28

जीपीएस के जरिये ईख आच्छादित क्षेत्र का भी किया जा रहा सर्वेक्षण

पेराई क्षेत्र 2021-22 के लिए चीनी मिलों की तरफ से ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के जरिये चीनी मिल वार सर्वेक्षण किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक सासामूसा चीनी मिल को छोड़ कर सभी चीनी मिलों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है.

अब तक हुए सर्वेक्षण में पता चला है कि नये पेराई सत्र के लिए 2.14 लाख हेक्टेयर में गन्ना मौजूद है. सर्वेक्षण प्रतिनिधियों ने बताया कि बाढ़ की वजह से सर्वेक्षण का कार्य प्रभावित है. तुलनात्मक रूप में देखा जाये, तो पिछले पेराई सत्र के लिए 30 से 40 फीसदी कम सर्वे हो सका है.

Posted by Ashish Jha

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