Flood in Bihar: गंडक के कटाव से लोगों में दहशत, नदी में समाये 100 से अधिक पक्के मकान, अफसर कर रहे कैंप
Flood in Bihar: बिहार में गंडक नदी ऊफान पर है. गंडक नदी से लगातार हो रहे कटाव के कारण खेत व मकान नदी में समाहित होते जा रहे है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग गांव छोड़कर पलायन कर चुके है.
बिहार में फिर एक बार बाढ़ से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. पश्चिम चंपारण के तीसरे दिन भी बगहा शहर के पारस नगर, अग्रवाल वाटिका तथा गोड़ियापट्टी के समीप गंडक नदी की तेज धारा के कारण कटाव का दबाव बढ़ गया है. बोल्डर पिचिंग धंसने लगा है. इसको लेकर मुहल्लेवासियों में भय का माहौल एक बार फिर से कायम हो गया है. इससे लोगों को कटाव का डर सताने लगी है. अब तक इस दिशा में जल संसाधन विभाग की ओर से कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है. जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विष्णु प्रकाश परवाना ने बताया कि गंडक नदी का दबाव बना हुआ है. नदी की धारा तेज हो गयी है. नगर के शास्त्रीनगर वार्ड 15 के समीप नदी खेतों व बोल्डर पिचिंग का कटाव जारी है.
अफसर कर रहे कैंप
बेतिया के पारस नगर के समीप तटबंध पर नदी का दबाव बना हुआ है. स्थिति अभी नियंत्रित है. विभाग के अभियंता एंव कनीय अभियंताओं द्वारा लगातार तटबंधों पर कैंप किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अभियंता स्थिति की मॉनीटरिंग कर रहे हैं. अगर कहीं से भी विषम परिस्थिति उत्पन्न होती है या नदी द्वारा कटाव शुरू किया जाता है, तो उस जगह को चिन्हित करते हुए कटाव रोधी कार्य कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि नगर के जिन-जिन जगहों पर दबाव बनाया जा रहा है, उस जगह को चिन्हित किया गया है.
Also Read: वैशाली में गंड़क नदी पार करने के दौरान बड़ा हादसा, 25 लोगों से भरी नाव डूबी, दो की मौत कई लापता
नदी में समाये 100 से अधिक पक्के मकान
बेतिया के ठकराहा में कटाव तेजी से जारी है. जिसके कारण बीते शुक्रवार से बाढ़ से हुई तबाही के बाद प्रखंड के हरख टोला मुसहरी व मिश्र टोला गांव का अस्तित्व खतरे में है. गंडक नदी के जद में उक्त गांवों के लगभग 100 से अधिक पक्के व फूस के आवासीय भवन समेत मध्य विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र नदी में विलीन होने के कगार पर है. कई फूस व पक्के मकान को छोड़कर ग्रामीण गांव छोड़कर पलायन कर चुके है. गंडक नदी तेजी से कटाव करते हुए गांव के समीप पहुंच गयी है. कई घरों में दरार पड़ चुकी है. कई अभी भी खतरे की जद में है. गंडक नदी से लगातार हो रहे कटाव से गन्ने की फसल धीरे-धीरे नदी में समाहित होते जा रहे हैं.