पटना. राज्य में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए ड्रोन और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होगा. इसके लिए जल संसाधन विभाग की संस्था बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र (एफएमआइएसस) पटना स्थित मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जो आंकड़ों का विश्लेषण कर अगले 72 घंटे का सटीक पूर्वानुमान जारी कर रहा है.
ड्रोन का इस्तेमाल बाढ़ के दौरान तटबंधों की रीयल टाइम मॉनीटरिंग में किया जायेगा. इसके अलावा विभाग द्वारा बिहार की 10 नदियों के किनारे स्थित कुल 41 गेज स्टेशन पर जल स्तर और डिस्चार्ज के अद्यतन आंकड़े प्रतिदिन नोट किये जा रहे हैं. विभाग के अनुसार आगामी 72 घंटे का अत्यंत सटीक पूर्वानुमान मिलने से सुविधा होती है.
राज्य में जहां भी नदी का जल स्तर अधिक बढ़ने या अत्यधिक वर्षापात की संभावना होती है, उस इलाके के विभागीय अधिकारियों को अलर्ट भेजा जाता है. इसके आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए तटबंधों को सुरक्षित करते हैं. आंकड़े तैयार करने के लिए (एफएमआइएसस) द्वारा तीन मॉडल तैयार किये गये हैं- रीजनल मॉडल, फ्लड फोरकास्ट मॉडल और रिवर बिहेवियर एनालिसिस मॉडल.इनमें माइक 11 और एचइसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है.
इस अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल पिछले वर्ष भी किया गया था, जिसकी सहायता से जानमाल के नुकसान को कम करने में काफी मदद मिली थी. जिन नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर होता है, उसके बारे में जानकारी उस इलाके के जिलाधिकारी को दी जाती है और उन स्थलों को समय रहते खाली कर स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा जाता है.
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए विभाग द्वारा लगातार नयी तकनीकों के इस्तेमाल के साथ-साथ नये-नये प्रयास किये जा रहे हैं. इसी क्रम में मेथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर की स्थापना की गयी थी, जिसके द्वारा वर्षा और नदियों के जल स्तर का अगले 72 घंटे का अत्यंत सटीक पूर्वानुमान रोज जारी किया जा रहा है. एफएमआइएस द्वारा फ्लड फॉरकास्ट मॉडल भी तैयार किया गया है. इसके अंतर्गत बागमती-अधवारा, कोसी, गंडक और महानंदा नदियों का बाढ़ से संबंधित पूर्वानुमान तैयार किया जा रहा है.
राज्य में एक से सात जून तक बाढ़ सुरक्षा सप्ताह का आयोजन होगा. इस सुरक्षा सप्ताह के आयोजन के लिए सभी डीएम सह अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिशा- निर्देश भेज दिया गया है. सुरक्षा सप्ताह के मौके पर लोगों को बाढ़ से होने वाली गृह क्षति, फसल की क्षति समेत जानमाल की क्षति से बचाव की जानकारी देने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.
इस दौरान राज्य में वैश्विक महामारी कोविड से बचाव के लिए सभी प्रोटोकॉल को अपनाने की सलाह दी गयी है. लोगों में जागरूकता के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं.
Posted by Ashish Jha