बिहार में बाढ़ का डर फिर एक बार लोगों को सताने लगा है. वाल्मीकिनगर बराज से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण सारण में रेवा के पास गंडक का जल स्तर खतरे के निशान से अब महज चार सेंटीमीटर नीचे है. सारण में गंडक नदी के खतरे का निशान 54.41 मीटर निर्धारित है. जबकि जल स्तर लगातार बढ़ते हुए 54.37 मीटर पर पहुंच गया है. नेपाल में लगातार बारिश होने तथा पानी छोड़े जाने के कारण विगत तीन दिनों से गंडक का जल स्तर बढ़ रहा है. हालांकि शुक्रवार को वाल्मीकिनगर बराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा घटी है. यह आंकड़ा अब दो लाख 6 हजार क्यूसेक पर आ गया है. परंतु, पूर्व में छोड़े गये ज्यादा पानी के सारण में पहुंच जाने के बाद अभी भी जल स्तर बढ़ रहा है.
जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता संतोष कुमार के अनुसार शनिवार से गंडक का जल स्तर घटने की संभावना है. लगातार गंडक के जल स्तर बढ़ने को लेकर जल संसाधन विभाग के पदाधिकारी व मजदूरों के द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है. विभागीय कार्यपालक अभियंता के अनुसार वाल्मीकिनगर बराज से पानी छोड़े जाने के बाद अधिकतर पानी गंडक नदी से होकर सारण को पार कर गया है. उन्होंने बताया कि सारण में गंगा एवं घाघरा का जल स्तर घट रहा है.
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वाल्मीकिनगर बराज से लगातार पानी छोड़े जाने तथा गंडक का जल स्तर बढ़ने से पानापुर तरैया, परसा, मकेर, अमनौर, दरियापुर प्रखंडों के दर्जन भर गांव जो गंडक नदी के किनारे बसे हुए है. वहां के हजारों ग्रामीणों में बाढ़ का भय सता रहा है. ग्रामीण पानी बढ़ने पर अपने आश्रय को लेकर चिंतित है. तो दूसरी ओर उनके समक्ष अपने फसलों को बचाने की चिंता भी सता रही है. ग्रामीणों का कहना है कि एक तो सूखे के कारण धान की रोपनी पर्याप्त नहीं हो पायी और अब गंडक का जल स्तर बढ़ने से यदि बाढ़ आ जाता है तो, कठिन परिश्रम व खर्च कर उन्होंने जो भी खेती की है, उसमें लगी फसले बर्बाद हो जायेगी.