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नये इलाके में फैला बाढ़ का पानी, मुसीबत में पांच लाख की आबादी

अब नये इलाके में बाढ़ का पानी फैलने लगा है. बाढ़ से पांच लाख की आबादी मुसीबत में हैं. तीन प्रखंडों के 178 से अधिक गांवों में बाढ़ कहर बरपा रहा है.

गोपालगंज. अब नये इलाके में बाढ़ का पानी फैलने लगा है. बाढ़ से पांच लाख की आबादी मुसीबत में हैं. तीन प्रखंडों के 178 से अधिक गांवों में बाढ़ कहर बरपा रहा है. वाल्मीकिनगर बराज से 1.30 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज दर्ज किया गया. नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 1.40 मीटर से घटकर एक मीटर पर पहुंच गया है. हालांकि, नये इलाके में पानी घुसने से अब वहां त्राहिमाम मचा है.

बरौली के देवापुर गांव में बाढ़ का पानी भरा है. कुछ ऐसे हैं जो घर के छत पर ही रह रहे है. यहां की आधे से अधिक आबादी हाइवे पर शरण ले रखी है, उधर गांव के उत्तरी भाग के लोग तटबंध और उंचे स्थानों पर शरण लिये हैं. बाढ़ ने धनी-गरीब का फासला पाट दिया है. सबकी हालत एक जैसी है. मालिक हो मजदूर, सबको राहत की दरकार है. नीचे बाढ़ का पानी तो, उपर से धूप का कहर.

बाढ़ से बचने के लिए जिसको जहां ठौर मिला वहां तत्काल शरण ली. बाढ़ आने के साथ ही प्रशासन की ओर राहत का इंतजाम तो किया गया, लेकिन प्रशासन की राहत चंद लोगों तक पहुंच की दम तोड़ दिया है. फर्क आसानी से दिख रहा है. हाइवे पर काले की रंग का तिरपाल सैकड़ों की तादाद में टंगा है जो सरकारी है, वही सरकारी किचेन की भी व्यवस्था है. लेकिन अन्य गावों में सरकारी राहत का एक दाना भी नहीं पहुंचा है.

बता दें कि दूसरी बार आयी बाढ़ से बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर के 178 से अधिक गांवों के साथ अन्य इलाकों की पांच लाख की आबादी प्रभावित है. डेढ़ लाख से अधिक लोग हाइवे, स्टेशन और ऊंचे स्थानों पर शरण लिये हैं. बरौली नगर पंचायत सहित देवापुर, सरेयां नरेंद्र, कहला, नवादा पंचायत में पानी बह रहा है.

इधर सिधवलिया के शेर में पानी बह रहा है. सिधवलिया बाजार जहां टापू बना है, वही बुचेयां, प्राथमिक स्वास्थ्यकेंद्र में पानी भर गया है. बैकुंठपुर में भी एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के प्रभाव में हैं. एक दर्जन से अधिक सड़कों पर परिचालन बंद है. अब सवाल उठता है कि आखिर कम्यूनिटी किचेन चंद लोगों के लिये ही क्यों? बाढ़ से बरौली, मांझा, सिधवलिया और बैंकुंठपुर की ढाई लाख से अधिक आबादी प्रभावित है.

बाढ़ का पानी लगातार नये गांवों को अपने चपेट में ले रहा है. आज भी 60 से अधिक की आबादी पानी में घिरी है और इनके पास सरकारी राहत का एक दाना भी नहीं पहुंच पाया है. बात बरौली के बलहां की हो या कुतलुपुर की. सिधवलिया का गंगवा हो या आजमीनगर, हर जगह लोग बाढ़ के दर्द से कराह रहे हैं और राहत के इंतजार में हैं.

posted by ashish jha

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