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पटना वीमेंस कॉलेज में अब पढ़ सकेंगी विदेशी छात्राएं, स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत हुआ चयन

पटना वीमेंस कॉलेज बिहार का पहला कॉलेज बनने जा रहा है, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत चयनित किया गया. इसके तहत जिन विदेशी छात्राओं का चयन मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से किया जायेगा, वे पटना वीमेंस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 18, 2022 10:08 AM

जूही स्मिता. पटना. पटना वीमेंस कॉलेज बिहार का पहला कॉलेज बनने जा रहा है, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत चयनित किया गया. इसके तहत जिन विदेशी छात्राओं का चयन मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से किया जायेगा, वे पटना वीमेंस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी.

पढ़ाई फ्री, करना होगा यहां भुगतान

कॉलेज में उनका रहने का इंतजाम किया जायेगा, साथ ही इनकी ट्यूशन फीस भी माफ होगी. यहां पढ़ने आने वाली छात्राओं को मिसलेनियस खर्च-जैसे हॉस्टल फीस, एग्जाम फीस, लॉन्ड्री, स्टेशनरी, हाउस कीपिंग, पर्सनल एक्पेंस आदि करने होंगे. सेंटर फॉर नेशनल इंटरनेशनल कोलैबोरेशन एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के डीन डॉ आलोक जॉन ने बताया कि भारत में अध्ययन के लिए आधुनिक और कई तरह के पारंपरिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है.

ऐसे होता है चयन

स्टडी इन इंडिया के माध्यम से प्राप्त शैक्षणिक बढ़त समग्र विकास को सक्षम बनाती है, वैश्विक संबंध को बढ़ावा देने के लिए अवसर प्रदान करती है. इसके चयन की प्रक्रिया होती है. वे संस्थान जो नैक और एनआइआरएफ ग्रेड वाले हैं, साथ ही विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों में डिग्री प्रदान करते हैं, उनका ही चयन इस प्रोग्राम के तहत किया जाता है.

तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर की छात्राएं यहां पढ़ रही हैं

बता दें कि इससे पहले यहां कॉलेज में पिछले तीन सालों से जम्मू-कश्मीर की छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. प्राइम मिनिस्टर स्टूडेंट स्कॉलरशिप स्कीम का स्पेशल प्रोविजन है. इसके अंतर्गत सेंट्रलाइज्ड नामांकन की प्रक्रिया एआइसीटीइ की ओर की जाती है. एआइसीटीइ की ओर से पटना वीमेंस कॉलेज का चयन किया गया है, जिसके तहत पिछले तीन सालों से छात्राओं का चयन किया जा रहा है. नामांकन की प्रक्रिया पीएमएसएफ पोर्टल के जरिये की जाती है और कॉलेज में इस पोर्टल की जिम्मेदारी डॉ आलोक जॉन को दी गयी है.

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