जहानाबाद. जुलाई महीने से लेकर अभी तक जिले में डूबकर हुई मौतों का आंकड़ा 46 पहुंच चुका है, जिनमें 10 संख्या लड़कियों और महिलाओं की भी है, जिनमें काको प्रखंड में नौ मौतें, मखदुमपुर में आठ, हुलासगंज में छह, सदर प्रखंड में आठ, घोसी में चार, रतनी फरीदपुर में पांच, मोदनगंज में छह मौतें हुई हैं. ये मौतें नदी, आहर, पइन पोखर में डूबने से हुई हैं.
मरने वालों में अधिकतर बच्चे हैं तो इनमें युवक, महिला और बुजुर्ग शामिल हैं. कई नहाने के क्रम में डूबे तो कई पैर फिसलने के कारण गहरे पानी में चले गये. विसर्जन के दौरान भी दो या तीन डूबे तो कई शौच के लिए भी गये थे. चार दिन पूर्व ही पाली थाना क्षेत्र के नरमा गांव निवासी दिव्यांग गोपाल चौधरी संतुलन खोने से वह पइन में गिर गया था, इससे उसकी डूबकर मौत हो गयी. 15 अगस्त को शहर के आंबेडकर नगर के दो बच्चों की मौत दरधा नदी में डूबने से हो गयी थी. उसी दिन जाफरगंज में एक महिला की मृत्य दरधा नदी में डूबने से हुई थी और मोदनगंज के मननपुर में भी एक मौत हुई थी. हर सप्ताह में करीब चार मौतें हो रही हैं.
खतरनाक घाटों के किनारे न तो खुद जाएं और न ही किसी को जाने दें. बच्चों को नदी, पोखर-आहर में नहाने से रोकें. यदि तैरना जानते हों तभी नदी घाट के किनारे जाएं. यदि जरूरी हो तो नदी के किनारे जाएं, परंतु नदी में उतरते समय गहराई का ध्यान रखें. डूब हुए व्यक्ति को धोती, साड़ी, रस्सी या बांस की सहायता से बचाएं. डूबे हुए व्यक्ति को पानी से निकालकर तुरंत ऑक्सीजन उपलब्ध कराएं, अगर ऑक्सीजन न मिले तो कृत्रिम सांस मुंह से मुंह के द्वारा या अन्य विधि से. डूबते हुए व्यक्ति का पेट फूले होने की स्थिति में पेट से पानी निकालने की प्रक्रिया भी साथ-साथ की जाये डूबे हुए व्यक्ति की नाड़ी (पल्स) बंद होने की स्थिति में तुरंत सीपीआर की कार्रवाई की जाये.
आपदा प्रबंधन जहानाबाद के प्रभारी मो सिबगतुल्लाह बरसात के महीनों में डूबकर हुई मौतों के मामलों काफी वृद्धि हो जाती है. लोग सावधानी और जागरूकता से इनकी संख्या में कमी ला सकते हैं. विभाग द्वारा मृतक के परिजनों को चार लाख का मुआवजा दिया जाता है.
posted by ashish jha