हाजीपुर एसएनसीयू से बच्चा बदलने के मामले की जांच करेगी चार सदस्यीय टीम, रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
Bihar News: हाजीपुर एसएनसीयू से बच्चा बदलने के मामले की जांच चार सदस्यीय टीम करेगी. रजिस्टर व बच्चे की भर्ती के बाद परिजनों को मिलने वाला स्लिप में नवजात का जेंडर दर्ज था. काफी समझाने के बाद सोमवार की सुबह करीब साढ़े चार बजे परिजन बच्ची का शव लेकर वापस लौट गये.
हाजीपुर सदर अस्पताल के एसएनसीयू में बीते रविवार को बच्चा बदलने का आरोप लगाकर हंगामा करने वाले परिजन सोमवार की अहले सुबह बच्ची के शव के साथ वापस अपने घर लौट गये. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने राहत की सांस ली है. वहीं इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए सिविल सर्जन ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया है. हालांकि इस पूरे प्रकरण ने सदर अस्पताल की व्यवस्था पर कई सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं.
बच्चा बदलने का आरोप
मालूम हो कि, राजापाकर थाना के बाकरपुर चकसिकंदर निवासी मो मुर्तुजा की पत्नी जरक्षा खातुन को प्रसव पीड़ा होने पर बीते 14 अप्रैल को परिजन डिलिवरी के लिए सदर अस्पताल लेकर आ रहे थे. रास्ते में ही प्रसव होने के बाद परिजन सदर अस्पताल पहुंचे थे और जच्चे-बच्चे का इलाज कराया था. डॉक्टर की सलाह पर नवजात बच्चे को नवजात शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था. रविवार को स्वास्थ्यकर्मियों ने जैसे ही परिजनों को यह कहकर एक बच्ची का शव सौंपा कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी है. परिजन हंगामा करने लगे थे.
तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश
परिजनों का आरोप था. जरक्षा ने पुत्र को जन्म दिया था. एसएनसीयू के रजिस्टर व बच्चे की भर्ती के बाद परिजनों को मिलने वाला स्लिप में नवजात का जेंडर दर्ज था. काफी समझाने के बाद सोमवार की सुबह करीब साढ़े चार बजे परिजन बच्ची का शव लेकर वापस लौट गये. इसके बाद सदर अस्पताल प्रशान के अधिकारियों ने राहत की सांस ली. ऐसे जांच टीम को मामले की रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर देने का निर्देश दिया गया है.
कहीं आशा की गलती से तो खड़ा नहीं हुआ है बखेड़ा
सदर अस्पताल में नवजात बच्चे के बदले जाने के बाद चर्चा का बाजार गर्म है. स्वास्थ्यकर्मियों में यह भी चर्चा है कि एक आशा कार्यकर्ता के चक्कर में इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया है. बताया जाता है कि जब परिजन जच्चा-बच्चा के साथ अस्पताल पहुंचे तो एक आशा कार्यकर्ता ने परिजनों से यह कह कर तोहफा मांगा कि आपको लड़का हुआ है. परिजनों ने खुशी-खुशी दो सौ रुपये भी दिये थे. स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि आशा कार्यकर्ता की इसी गलती की वजह से बच्ची की जगह सभी जगहों पर बच्चा दर्ज हो गया था. फिलहाल इसे पूरे प्रकरण की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार शर्मा, डॉ अजय लाल और डॉ प्रियंका कर रही हैं. जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा.
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कहते हैं अधिकारी
हाजीपुर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एसके वर्मा ने कहा कि सोमवार की सुबह परिजन बच्ची के शव को अपने साथ लेकर चले गये. पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम बनायी गयी है. जांच टीम तीन दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी.