नमन चौधरी, भागलपुर. नारायणपुर थाना क्षेत्र के अमरी-विशनपुर में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या मामले में आरोपित को पकड़ने में पुलिस को 23 साल लग गये. 23 साल बाद सोमवार को नाथनगर पुलिस ने थाना क्षेत्र के शाहपुर से अभियुक्त अरविंद सिंह को गिरफ्तार किया है. अभियुक्त पर साल 2001 में पुलिस ने 250 रुपये इनाम घोषित किया था, बावजूद पुलिस इस आरोपी को अबतक नहीं पकड़ पायी थी. वही अरविंद सिंह की गिरफ्तारी के बाद हत्या के कारणों की जानकारी भी लोगों को मिलेगी. इस गिरफ्तारी से घटना की यादें एक बार फिर ताजा हो गयी.
चार लोगों की हुई थी गोली मार कर हत्या
अमरी-विशनपुर में 31 दिसंबर 2001 बासा पर सो रहे गणेश मंडल,उनके पूत्र सहदेव मंडल, सुदीन मंडल और सुदीन के आठ वर्षीय पुत्र की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. बदमाशों ने नये साल के आगमन के मौके पर मौत का तांडव मचाया और चारों को इतनी गोली मारी कि ठीक से चेहरा पहचान मे नहीं आ रहा था. घटना में प्रथम नामजद राघोपुर पंचायत के वर्तमान मुखिया धारो राय, उनके दो भाई, नित्यानंद सिंह, अरविंद सिंह, मंटू चौधरी, बबन राय, टुनटुन राय सहित शाहपुर, मकंदपुर व अमरीविशनपुर के कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था.
पहला आरोपित 2005 में हुआ था गिरफ्तार
पुलिस के मुताबिक धारो राय 2005 मे गिरफ्तार हुआ था. इसके बाद कानूनी कार्रवाई चली. कुछ लोग पुलिसिया अनुसंधान में ही बरी हो गये. अदालती कार्रवाई के दौरान मुखिया धारो राय सहित 7 लोग बरी हो चुके है. राघोपुर पंचायत के मुखिया व मुख्य आरोपी धारो राय ने कहा कि हम तीन भाई सहित सात लोग कोर्ट से बरी हो चुके हैं. हमें झूठा फंसाया गया था. हालांकि विवाद सुत कारोबार को ही लेकर होने की बात सामने आयी थी.
फाइल ढूंढने में पुलिस को छूट रहे पसीने
बताया जाता है कि मृतक गणेश मंडल के भाई हलसी मंडल घटना के मुख्य गवाह थे जिसे आरोपियों ने तब मैनेज किया. गवाह मृतक के पक्ष मे नहीं गुजरे अभियुक्त लोग रिहा हो गये. इसके बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस और कानून का काफी चक्कर काटा पर कही सुनवाई नहीं होने के कारण थक हारकर बैठ गये. घटना इतना पुराना है कि वर्तमान पुलिस पदाधिकारी को फाइल ढूंढने में पसीने छूट रहे हैं. क ई महत्वपूर्ण डिटेल अबतक भी नहीं मिल पाया है.
कोरियाई सूत के वर्चस्व को लेकर हुआ था जंग
गणेश मंडल व उनके दो बेटे व पोते कि हत्या क्यों हुई थी और घटना मे कौन लोग शामिल थे इसपर पुलिस ने आजतक ठीक से अनुसंधान नहीं किया. नतीजा अधिकतर आरोपी केस से बरी हो गये. वही बताया जाता है कि तब चीन से नेपाल के रास्ते नाथनगर का चंपानगर कोरियाई सूता का अवैध आयात होता था. सूत की तस्करी गंगा नदी के रास्ते अमरीविशनपुर होकर की जाती थी. दबंग बदमाश कमीशन के लिए नाव से सूत मजदूरों से उतरवाते थे और बंदूक के बल पर चंपापुल के पास पहुंचवाते थे.
तस्करों की लड़ाई में गयी चार जानें
पहले ये काम मकंदपुर के दबंग करते थे. फिर मुख्य तस्करों ने ये कमान मकंदपुर वाले से छीनकर राघोपुर शाहपुर के दबंगों को दे दिया. इसी कारण मकंदपुर और शाहपुर के दबंगों के बीच बर्चस्व की जंग छिड़ गयी. इस कारोबार को बंद कराने के लिए कुछ दबंगों ने नरसंहार ही रास्ता चुना ताकि पूरा पुलिस महकमा हिल जाए और ये कारोबार बंद हो जाए. इसलिए एक ही परिवार के चार निर्दोष लोगों की बासा पर हत्या कर दी.