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Lok Sabha Election 2024: दिनकर की जन्मभूमि व बिहार केसरी की कर्मभूमि पर पूरे देश की निगाहें

Lok Sabha Election 2024 बेगूसराय लोकसभा सीट से इस बार एनडीए के प्रत्याशी गिरिराज सिंह व महागठबंधन के कम्युनिष्ट प्रत्याशी अवधेश राय आमने-सामने हैं

By RajeshKumar Ojha | May 10, 2024 5:07 PM

विपिन कुमार मिश्र
Lok Sabha Election 2024 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि और बिहार केसरी डा श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि  के रूप में शुमार व सांस्कृतिक और सियासत का बेजोड़ संगम बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है. एक समय बेगूसराय में दो लोकसभा बेगूसराय व बलिया हुआ करते थे. उस समय मिनी मास्को व लाल दुर्ग के रूप में कम्युनिष्टों का यहां दबदबा हुआ करता था. कांग्रेस और कम्युनिष्ट के उम्मीदवार ही यहां से विजयी होकर लोकसभा पहुंचते थे. समय के साथ सब कुछ बदल गया. मिनी मास्को और कांग्रेस जहां कमजोर पड़ने लगी वहीं भाजपा अपना पांव पसारना शुरू कर दिया. इसी का नतीजा हुआ कि वर्ष 2014 में भाजपा के भोला सिंह ने यहां कम्युनिष्टों व कांग्रेस को पराजित करते हुए बेगूसराय लोकसभा सीट से कमल खिला दिया. वर्ष 2019 में एक बार फिर भाजपा के ही प्रत्याशी व फायरब्रांड नेता कहे जाने वाले गिरिराज सिंह ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखते हुए तमाम विपक्षियों को कड़ी शिकस्त दी.


एनडीए व महागठबंधन के बीच आमने-सामने की है लड़ाई
बेगूसराय लोकसभा सीट से इस बार एनडीए के प्रत्याशी गिरिराज सिंह व महागठबंधन के कम्युनिष्ट प्रत्याशी अवधेश राय आमने-सामने हैं. एक बार फिर जहां कम्युनिष्ट अपनी वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं वहीं भाजपा किसी भी कीमत में इस सीट को गंवाना नहीं चाहती है.नतीजा है कि यह सीट हॉट सीट बना हुआ है और पूरे देश की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई है.


स्थानीय मुद्दों पर हावी रहा चुनाव
 बेगूसराय-बरौनी देश के मानचित्र पर पर औद्योगिक नगरी के रूम में शुमार है. बरौनी रिफाइनरी, हिन्दुस्तान उवर्रक रसायन लिमिटेड( फर्टिलाइजर), बरौनी एनटीपीसी, बरौनी डेयरी, बरौनी पेप्सी प्लांट समेत दर्जनों छोटे-छोटे कल कारखाने  भले ही बेगूसराय को देश के मानचित्र पर स्थापित कर रखा हो लेकिन स्थानीय मुद्दे इस बार के चुनाव में हावी रहे और इसी को लेकर एनडीए व महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा.

महागठबंधन के प्रत्याशी व कार्यकर्ता जहां बेगूसराय में उलाव हवाई अड्डा से उड़ान नहीं भरने, बेगूसराय में दिनकर विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं होने, मटिहानी-शाम्हो गंगा नदी में पुल का कार्य शुरू नहीं होने, राजस्व में अव्वल रहने के बाद भी बेगूसराय स्टेशन का सौंदर्यीकरण व विकास नहीं होने, मुंगेर  रेल पुल होकर महत्वपूर्ण गाड़ियों का परिचालन नहीं होने जैसे सवालों को लेकर केंद्र की एनडीए सरकार और वर्तमान सांसद पर उपेक्षा का आरोप लगाते रहे वहीं एनडीए के द्वारा बरौनी रिफाइनरी का विस्तार, समिरिया में सिक्स लेन पुल, एलिवेटेड फ्लाइओवर, बंद पड़े फर्टिलाइजर को चालू कराने का श्रेय अपनी सरकार को देते हुए वोटरों तक पहुंचते रहे.

चुनाव प्रचार के दौरान आने वाले बड़े नेताओं के द्वारा वोटरों को आश्वस्त किया जाता रहा कि जो भी शेष कार्य या स्थानीय मुद्दे रह गये हैं उसे नयी सरकार में पूरा करने का काम किया जायेगा. महागठबंधन के द्वारा उठाये गये मुद्दे और एनडीए के द्वारा वोटरों के बीच गिनायी गयी उपलब्धियों को बेगूसराय के वोटर कहां तक समझने में कामयाब हो पाते हैं यह तो चार जून काे ही पता चलेगा.


जातीय समीकरण को ही अपना-अपना आधार मान रहे हैं प्रत्याशी
 बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र का समीकरण इस बार कुछ अलग है. महागठबंधन व एनडीए जातीय समीकरण को ही अपना-अपना आधार मान रहे हैं. वोटर अभी भी पूरी तरह से साइलेंट है. चुनाव का समय काफी  नजदीक आने के कारण क्षेत्र में धुआंधार प्रचार प्रसार कर वोटरों को गोलबंद करने में दोनों प्रत्याशी जुटे हुए हैं.

बेगूसराय लोकसभा सीट से भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों के लिए यादव, कुशवाहा, कुर्मी, मुस्लिम, बनिया के अलावे पचपोनियां मतदाता  ही जीत दिलाने में निर्णायक बनेंगे.  इसमें से कोइरी ( कुशवाहा), कुर्मी, धानुक, पासवान, धोबी, नाई, कानू, कुम्हार, तांती, रविदास जाति के मतदाता अभी बिल्कुल चुप्पी साधे हुए हैं.  फिलहाल बेगूसराय में देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि ऊंट की तरह पचपोनियां मतदाता किस करवट बदलते हैं. चुनाव के अंतिम समय में इन वोटरों को अपने तरफ गोलबंद करने में कोई भी प्रत्याशी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं वोटर
बबीता देवी : यह चाकू्, चाबा, बेलन ऐसी चीजें बेचकर घर चलाती है. यह पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन इनका मानना है कि वोट उसे करेंगे. जो हमारे लिए कुछ करता है. इन्होंने कहा कि कोई पार्टी पेट नहीं भरता है, लेकिन इन्हें अनाज हर माह मिलता है. शौचालय भी सरकार खर्च पर बना है.आयुष्मान कार्ड में नाम इनका आ गया है, लेकिन कार्ड अभी नहीं मिला है.


रेणु देवी : यह चाय का दुकान चलाती है. इनका घर चल जाता है. इनका मानना है कि हमें जो अभी लाभ मिल रहा है हम उसे ही वोट देंगे. अस्पताल और भोजन के लिए हमें परेशान नहीं होना पड़ता है. हम वोट करेंगे. हम बार करते हैं. इस बार भी करेंगे.

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