पटना. श्रम संसाधन विभाग ने किसी भी तरह के निजी संस्थानों, दुकान, कोचिंग या अन्य कारोबारियों के यहां काम करने वाले हर कर्मियों को इएसआइसी से जोड़ना अनिवार्य किया है. विभाग ने इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशा-निर्देश दिया है कि एक मई से इसे सख्ती से लागू कराया जाये.
इसके पूर्व राज्यभर में ऐसे कर्मचारियों की संख्या का ब्योरा तैयार कर विभाग को देने का निर्देश दिया गया है. हाल के दिनों में इस संबंध में विभाग को कई शिकायतें मिली हैं कि राज्य में चल रहे सभी बड़े मॉल या निजी संस्थान के मालिक कर्मचारियों को इएसआइसी से नहीं जोड़ते हैं, जिसको लेकर कर्मचारी खुल कर शिकायत करने में डरते हैं, जिसका फायदा मॉल व दुकानों के मालिक उठाते है.
नियम के अनुसार कोई भी कर्मचारी चाहे तो वो इएसआइसी का लाभ नहीं मिलने की शिकायत कर सकता है. वह चाहे तो अपनी पहचान गोपनीय रख सकता है. उस शिकायत के आधार पर ही इएसआइसी कार्रवाई कर लेगा.
श्रम अधिनियम के अनुसार 10 या इससे अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों में काम करने वाले को इएसआइसी यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम का लाभ मिलना है. नियमानुसार यह साफ है कि जिन्हें 21 हजार मासिक से कम वेतन मिलता है, उन्हें इसका लाभ दिया जाना है. पटना सहित अन्य जिलों में खुले मॉल, अस्पतालों इसका पालन नहीं होता है कर्मचारी नौकरी जाने के भय से लोग इसकी शिकायत नहीं कर पाते हैं.
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि कर्मियों को इएसआइसी में आने पर सरकार से अंशदान भी मिलता है तो फिर संस्थान चलाने वालों को क्या परेशानी है. सभी कर्मी इस योजना से जुड़ सकें, इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है.
इएसआइसी में आने पर कर्मियों को बीमा की सुविधा मिल जाती है. दुर्घटना में मौत हो तो परिजनों को आर्थिक सहायता मिलती है. चोट लगने, बीमार होने पर इएसआइसी के दायरे में आये कर्मियों का सरकारी खर्चें पर इलाज होता है.
कर्मचारी के परिजनों का भी इलाज होता है. इसके लिए इएसआइसी ने पूरे बिहार में अस्पताल खोल रखे हैं. पटना के बिहटा में इएसआइसी का मेडिकल कॉलेज भी है, जहां ओपीडी, इंडोर सेवा शुरू है.
Posted by Ashish Jha