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ओटीपी फ्रॉड से दस्तावेजों की मार्फिंग तक, जानें बिहार में कितने तरीके के होते हैं साइबर अपराध

ओटीपी फ्रॉड से शुरू हुई कहानी अब सरकारी दस्तावेजों की मार्फिंग (रूप बदलने) तक पहुंच गयी है. इसके साथ ही ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन, सोशल मीडिया पर उपलब्ध तस्वीरों से छेड़छाड़ कर भयादोहन, साइबर स्टॉकिंग, सिम स्वैपिंग और कम समय में अधिक कमाई का प्रलोभन जैसे नये तरीकों से भी ठगी के मामले बढ़ रहे हैं.

सुमित कुमार, पटना. बिहार में साइबर अपराधियों का संगठित गिरोह लोगों को ठगने के लिए हर दिन नये तरीके का इजाद कर रहा है. ओटीपी फ्रॉड से शुरू हुई कहानी अब सरकारी दस्तावेजों की मार्फिंग (रूप बदलने) तक पहुंच गयी है. इसके साथ ही ऑनलाइन सेक्सटॉर्शन, सोशल मीडिया पर उपलब्ध तस्वीरों से छेड़छाड़ कर भयादोहन, साइबर स्टॉकिंग, सिम स्वैपिंग और कम समय में अधिक कमाई का प्रलोभन जैसे नये तरीकों से भी ठगी के मामले बढ़ रहे हैं. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) इन मामलों पर लगातार नजर रखते हुए कार्रवाई में जुटी है.

नकली फिंगरप्रिंट तैयार कर खाते से निकाल रहे पैसे

साइबर अपराधी अब फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज तक तैयार करने लगे हैं. 2023 में ही ऐसे ही एक मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस अब तक पड़ताल में जुटी है. इसके अलावा हाल ही में नवादा में एक ऐसे गिरोह को पकड़ा गया है, जो नकली फिंगरप्रिंट तैयार कर लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे निकाल लेता था. यह गिरोह भोले-भाले लोगों से सरकार के विभिन्न जन कल्याण योजना का लाभ दिलाने के नाम पर गांव-गांव घूमकर तथा प्रखंड कार्यालय के पास स्टॉल लगाकर आधार नंबर तथा फिंगर प्रिंट लेता था. फिर विभिन्न तकनीक के माध्यम से फर्जी फिंगर प्रिंट तैयार कर आधार से जुड़े बैंक खाते की जमा राशि खाली कर देता था. सेक्सटॉर्शन के मामलों की शिकायत भी बढ़ी है.

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निजी जानकारी शेयर करने से बचेंगे, तभी सुरक्षित रहेंगे

इओयू के अधिकारियों के मुताबिक लोग जब तक निजी जानकारी शेयर करने से बचेंगे, तब तक सुरक्षित रहेंगे. ऑनलाइन किसी से भी अपने ओटीपी, बैंक डिटेल शेयर न करें. अंजान लिंक पर क्लिक न करें. सार्वजनिक जगहों पर हस्ताक्षर, अंगूठा या अपनी निजी जानकारी देने से बचें. इंटरनेट मीडिया का सुरक्षित इस्तेमाल करने से साइबर फ्रॉड से बचा जा सकता है.

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अपराध के दायरे में आने वाले साइबर कृत्य

  • – इंटरनेट पर बाल यौन शोषण सामग्री का प्रसार

  • – कंप्यूटर, मोबाइल फोन आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के माध्यम से उत्पीड़न या धमकाना

  • – साइबर स्टॉकिंग यानि किसी व्यक्ति का पीछा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक संचार का उपयोग करना

  • – साइबर ग्रूमिंग यानि किसी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन संबंध बना कर उसे यौन कार्य के लिए बरगलाना या दबाव डालना

  • – ऑनलाइन माध्यम से उच्च वेतन के साथ बेहतर रोजगार का आश्वासन देकर ठगी

  • – सेक्सटॉर्शन यानि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करके निजी और संवेदनशील सामग्री (यौन प्रकृति) का प्रसार

  • – विशिंग यानि फोन कॉल के माध्यम से ग्राहक आइडी, नेट बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम पिन, ओटीपी सीवीवी आदि जैसी व्यक्तिगत जानकारी लेकर ठगी

  • – सेक्सटिंग यानि सेलफोन के माध्यम से स्पष्ट यौन डिजिटल छवियां, वीडियो, टेक्स्ट संदेश या इ-मेल भेजना

  • – स्मिशिंग यानि धोखाधड़ी वाले नंबर पर कॉल करने, वेबसाइटों पर जाने या फोन या वेब के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण सामग्री डाउनलोड करने के लिए मोबाइल संदेश भेजना

  • – सिम स्वैप यानि धोखाधड़ी करके एक पंजीकृत मोबाइल नंबर पर नया सिम कार्ड जारी कराने में कामयाब होना

  • – किसी अन्य के क्रेडिट-डेबिट कार्ड की जानकारी का अनधिकृत उपयोग कर धोखाधड़ी

  • – मॉर्फिंग यानि किसी अन्य व्यक्ति या संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर, पासवर्ड या किसी अन्य विशिष्ट पहचान सुविधा का धोखाधड़ी या बेइमानी से उपयोग

  • – फिशिंग यानि वैध स्रोत से आने वाले इ-मेल के माध्यम से ग्राहक आइडी, आइपिन, क्रेडिट/डेबिट कार्ड नंबर, कार्ड समाप्ति तिथि, सीवीवी नंबर इत्यादि जैसी व्यक्तिगत जानकारी चुराना

  • – स्पैमिंग यानि किसी को इ-मेल, एसएमएस, एमएमएस और किसी अन्य समान इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग मीडिया के माध्यम से अवांछित व्यावसायिक संदेश भेजना

  • – डेटा उल्लंघन यानि जानकारी के बिना किसी प्राधिकरण के नेटवर्क को एक्सेस करना

  • – किसी वेबसाइट को हैक कर उस पर अभद्र, शत्रुतापूर्ण और अश्लील चित्र, संदेश आदि पोस्ट करना

  • – साइबर-स्क्वैटिंग यानि किसी अन्य व्यक्ति के ट्रेडमार्क की साख से लाभ कमाने के इरादे से डोमेन नाम का पंजीकरण, तस्करी या उपयोग करना

  • – फार्मिंग यानि किसी एक वेबसाइट के ट्रैफिक को दूसरे फर्जी वेबसाइट पर भेजना

नोट : ऐसी घटनाओं का शिकार होने पर साइबर थाने या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है.

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