पटना. राजगीर में बन रहा एफएसएल लैब इस साल चालू हो जायेगा. इसके लिए आवश्यक उपकरण लगाये जा रहे हैं. करीब छह करोड़ से अधिक धनराशि इस पर खर्च होगी. इधर बिहार सरकार ने सभी प्रमंडल मुख्यालय तथा 28 जिलों में नव सृजित विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए स्थानीय पुलिस लाइन परिसर में भूमि को चिह्नित करने का काम भी तेजी से चल रहा है. गृह सचिव चैतन्य प्रसाद ने इस काम को जल्दी से पूरा करने के निर्देश दिये हैं.
बिहार के विभिन्न थानों में दर्ज करीब तीन हजार मामलों का अनुसंधान विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में साक्ष्य की जांच नहीं होने के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है. वैज्ञानिक और उनके सहायकों पर काम का इतना दबाव है कि प्रयोगशाला में एक तारीख को आने वाले नमूना को खोलने में ही 15 से 30 दिन लग जा रहे हैं. इससे कई मामलों के अनुसंधान में देरी हो रही है, जिसके कारण आरोपित को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. जांच के बिना केस भी पेडिंग में हैं.
गृह सचिव चैतन्य प्रसाद ने पुलिस उप महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग को निर्देश दिया है कि वे सभी विधि विज्ञान प्रयोगशाला का निरीक्षण कर लंबित प्रदर्शों की जांच को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाएं. एसीएस ने कुछ दिन पहले एफएसएल के निदेशक के साथ राज्य की सभी प्रयोगशालाओं के कार्य और संसाधनों की समीक्षा की थी. निदेशक ने एसीएस गृह को जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार सभी विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं से 3099 नमूनों की जांच लंबित है.
विधि विज्ञान प्रयोगशाला, पटना में अगस्त तक जांच के लिए लंबित नमूनों की संख्या 1451 थी. वर्तमान में इनकी संख्या 1335 है. मुजफ्फरपुर में अगस्त में यह संख्या 1515 से बढ़कर 1551 हो गयी है. क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भागलपुर में अगस्त तक 199 नमूना जांच का इंतजार कर रहे थे. वर्तमान में ये बढ़कर 213 हैं. इसका असर दिख रहा है.