बिहार: जल जीवन हरियाली समेत कई योजनाओं के लिए नहीं होगी फंड की समस्या, योजना स्क्रिनिंग समिति के दायरे से बाहर
विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली योजना स्क्रिनिंग समिति का कार्यकाल एक वित्तीय वर्ष का होता है. लगभग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के बाद इस समिति की अवधि विस्तार की जाती है.
बिहार सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में राशि को लेकर कोई रुकावट नहीं हो इसके लिए इन योजनाओं को योजना स्क्रिनिंग समित के दायरे से बाहर रखने को निर्णय लिया गया है. जिसमें मुख्य रूप से सरकार के सात निश्चय एक और दो, जल- जीवन- हरियाली से संबंधित, सभी प्रकार की पेयजल, मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क और ग्रामीण पथ, आपदा और बाढ़ से संबंधित, पंचायत और नगर निकाय, नगर निगम क्षेत्र में जल निकासी से संबंधित, कोविड, विधि व्यवस्था और कौशल विकास से संबंधित योजनाएं हैं.
योजना स्क्रिनिंग समिति क्या है
दरअसल राज्य में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में योजना स्क्रिनिंग समिति कार्य करती है, जो 1 से 15 करोड़ तक की योजनाओं की स्वीकृति की अनुशंसा करती है. इस समिति निर्धारित राशि तक योजनाओं को की गयी अनुशंसा को मंत्रिमंडल में जाने की जरूत नहीं पड़ती है.हालांकि,15 करोड़ से अधिक की राशि वाली योजनाओं की स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल की अनुशंसा आवश्यक है.
एक वित्तीय वर्ष के लिए बनती है योजना स्क्रिनिंग समिति
विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली योजना स्क्रिनिंग समिति का कार्यकाल एक वित्तीय वर्ष का होता है. लगभग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के बाद इस समिति की अवधि विस्तार की जाती है. सरकार का यह मानना है कि योजनाओं की स्वीकृति के पूर्व उसकी समीक्षा जरूरी है. कौन योजना जरूरी है कि नहीं इसकी समीक्षा इस समिति द्वारा की जाती है.
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सरकार ने समीक्षा के लिए अधिकृत किया
समीक्षा करने के लिए इस समिति को सरकार ने अधिकृत किया है. योजना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव इसके सदस्य सचिव होते हैं, जबकि इसके सदस्य वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव और संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव होते हैं.