आनंद तिवारी, पटना. पटना सहित प्रदेश में कोरोना के मरीजों के आंख ही नहीं आंत में भी ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) मिल रहा है. शहर के अलग-अलग अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के 10 से 15 दिन बाद मरीज पेट दर्द व दस्त के साथ खून की शिकायत लेकर आये. सीटी स्कैन में पता चला आंतों में फंगस पहुंच गया है.
अस्पताल में ऐसे तीन-चार मामले आ चुके हैं. ऐसे में शरीर के विभिन्न अंगों में मिलने वाले ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर शहर के पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स व आइजीआइएमएस के डॉक्टर नयी गाइडलाइन तैयार कर मरीजों का बेहतर इलाज करने में जुटे हैं.
हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. शहर के चारों मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 300 ब्लैक फंगस के मरीज इलाज करा रहे हैं.
नयी गाइडलाइन में इसके स्वरूप को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है और सैंपल लेने के तरीके भी अलग बताये गये हैं. मरीजों को एम्फोटेरेसिन बी के अलावा इसाकोनाजोल व पोसाकोनाजोल दवा व सुई दी जा रही है.
केस एक : 62 साल के बुजुर्ग को एक महीना पहले कोरोना संक्रमण हुआ था. ठीक होने के 15 दिन बाद पेट दर्द, पेट फुलने और दस्त के साथ शौचालय के रास्ते खून आने की शिकायत हुई. छोटी आंत में सूजन थी. जांच करवायी तो ब्लैक फंगस पॉजिटिव मिला. हालांकि बेहतर इलाज से आइजीआइएमएस के डॉक्टरों ने मरीज की जान बचा ली.
केस दो : 41 साल के मरीज को कोरोना संक्रमण के बाद खून के दस्त की शिकायत हुई. हिमोग्लोबिन 12 से घटकर 9 ग्राम पर आ गया. अस्पताल में एंडोस्कोपी जांच की गयी तो छोटी आंत में बड़ा सा छाला दिखा. सीटी स्कैन में पता लगा कि छोटी आंत में फंगस का वायरस चला गया है. छाला पेनक्रियाज तक पहुंच गया था. मरीज का उपचार जारी है.
आइजीआइएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने कहा कि ब्लैक फंगस शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंच सकता है. आंख, फेफड़े के बाद पेट, आंत में भी ब्लैक फंगस पाये जाने की बात सामने आयी है.
ऐसे में मरीज के शौचालय के रास्ते खून भी आ रहे थे, जिससे फंगस की आशंका जतायी जा रही है. मरीजों का सैंपल लेकर आधुनिक तरीके से इलाज व ऑपरेशन किया जा रहा है. मरीज तेजी से रिकवरी भी हो रहे हैं.
Posted by Ashish Jha