गोपालगंज. डुमरिया में गंडक नदी पर नये सेतु के निर्माण को लेकर उम्मीदें प्रबल हो गयी है. जर्जर पुराने सेतु और नये सेतु के अधूरे निर्माण की स्थिति को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गंभीरता से लिया है और संबंधित अधिकारी को पत्र भेजा है.
बता दें कि एनएच 28 के अंतर्गत गंडक नदी पर 1974 में बना पुल जर्जर हो चुका है. इस्ट-वेस्ट कोरिडोर परियोजना के तहत डुमरिया में एनएचएआइ की दूसरे लेन में नये सेतु का निर्माण 2011 से बंद है. नतीजा है कि दोनों लेन का लोड भी जर्जर पुराने सेतु पर है.
नतीजा है कि जाम लगना और दुर्घटना का सिलसिला अंतहीन बना हुआ है. दिल्ली से गुवाहाटी को जोड़ने वाले इस सेतु के जर्जर होने से कभी भी नदी में ध्वस्त होकर गिरने का खतरा बना रहता है. इतना ही नहीं दिल्ली से असम का संपर्क भी टूटने की संभावना है.
पुल निर्माण को लेकर बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी ने नितिन गडकरी को सेतु की स्थिति से अवगत कराते हुए नितिन गडकरी को पत्र भेजा था. परिवहन मंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए विभाग के वरीय को अधिकारी को पत्र भेजा है, जिससे सेतु के निर्माण को लेकर एक बार फिर से उम्मीद प्रबल हो गयी है.
इस्ट वेस्ट कोरिडोर परियोजना के अंतर्गत गंडक नदी से गुजरने वाली एनएच 28 के लिए नये सेतु का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था. वर्ष 2011 में निर्माणाधीन सेतु का एक पाया अचानक धंस गया.
उसके बाद निर्माण कंपनी पीसीएल काम छोड़ कर फरार हो गयी. तब से यह काम लटका हुआ है. टेंडर होने के बाद सेतु के निर्माण की हर बार उम्मीद जगती है, लेकिन जल्द ही खत्म हो जाती है. 1974 में बने डुमरिया सेतु पर हमेशा जाम लगता है.
सेतु इस कदर जर्जर हो चुका है वह स्विंग करता है और इसके दोनों ओर के रेलिंग भी टूट चुके है. सेतु का 75 फीसदी भाग बिना रेलिंग का है . कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन हालात यथावत है.
बात ऐसी नहीं कि सेतु के अधूरे निर्माण को पूरा कराने के लिये एनएएचआइ ने प्रयास नहीं किया. प्रयास किया, लेकिन ठेकेदार ही नहीं मिले.
सेतु के अधूरे निर्माण को लेकर एनएचएआइ अब तक चार बार टेंडर निकाल चुकी है, लेकिन कोई संवेदक ही नियमावली पर खरा नहीं उतरा, कुल मिलाकर कोई ठेकेदार ही नहीं मिला. एनएचएआइ की ओर से पांचवी बार टेंडर निकालने की बात कही जा रही है.
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1974 में पूरा हुआ था पुराने सेतु का निर्माण
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एक दशक से पुराना सेतु बना है जर्जर
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2016 में सीओ ने पुराने सेतु के स्वींग करने की भेजी थी रिपोर्ट
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2008 में शुरू हुआ था नये सेतु का निर्माण कार्य
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2007 में इस्ट-वेस्ट कोरिडोर फोर लेन परियोजना की हुई शुरूआत
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2011 में सेतु का पाया धंसने से काम हुआ था बंद
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2011 में अधूरा काम छोड़ निर्माण कंपनी पीसीएल फरार
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डुमरिया सेतु के लिये एनएचएआइ निकालता रहा टेंडर, कोई कंपनी नहीं हुई तैयार
Posted by Ashish Jha