दो दिनों की बारिश से गंडक व बागमती में उफान , चंपारण का सीतामढ़ी और शिवहर से संपर्क टूटा
पूर्वी चंपारण का सीतामढ़ी और नेपाल से सड़क संपर्क भंग हो गया. वहीं, बागमती नदी में पानी बढ़ने से पूर्वी चंपारण जिले का बेलवा होकर शिवहर सड़क पर आवागमन ठप है. ढाका के फुलवरिया घाट पर डायवर्सन में लगाए गए कई ह्यूमपाइप नदी में बह गए.
पटना. बिहार में नदियां उफान पर हैं. सीतामढ़ी के बैरगनिया के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर बहने वाली बागमती एवं लालबकेया नदी खतरे के निशान के पार बह रही हैं. वहीं पश्चिम चंपारण में गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पिछले दो दिनों से हो रही बारिश के कारण दोनों नदियों के जलस्तर में अचानक से बढ़ोतरी हो गयी है. शिवहर में बागमती नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है, जिसके कारण शिवहर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. बागमती का पानी शिवहर के नरकटियागंज के गांव में प्रवेश करने लगा है.
कई जगहों पर सड़क संपर्क टूटा
शिवहर-मोतिहारी एसएच-54 पर पानी का तेज बहाव होने लगा है, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है. इससे पूर्वी चंपारण का सीतामढ़ी और नेपाल से सड़क संपर्क भंग हो गया. वहीं, बागमती नदी में पानी बढ़ने से पूर्वी चंपारण जिले का बेलवा होकर शिवहर सड़क पर आवागमन ठप है. ढाका के फुलवरिया घाट पर डायवर्सन में लगाए गए कई ह्यूमपाइप नदी में बह गए. डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाने से सड़क पर परिचालन भी ठप हो गया. नदी में नाव का परिचालन शुरू किया गया है. डीएम रामशंकर और एडीएम कृष्ण मोहन सिंह ने बेलवा पहुंचकर बाढ़ की स्थिति के संबंध में जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिया. जिलाधिकारी ने बताया कि जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है. जिले के सभी अधिकारियों को बाढ़ को लेकर अवकाश को रद्द कर दिया गया है. साथ ही आसपास के लोगों को सावधानी बरतने की अपील की गई है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ेगा, तो कम्युनिटी किचन का भी शुरुआत कल से की जाएगी.
बैरगनिया में 1993 का बाढ़ आज भी याद
बताया गया कि तकनीकी सेल द्वारा इसके जलस्तर का निरीक्षण प्रत्येक घंटे में किया जा रहा है. बैरगनिया के रिंग बांध की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिया गया है. संपूर्ण बांध के डेंजर प्वाइंट पर स्थानीय मिट्टी से भरे बोरे को एकत्रित कर लिया गया है. बागमती और लालबकेया नदी में भयंकर बाढ़ जुलाई एवं अगस्त में ही ज्यादातर आने की संभावना रहती है. वर्ष 1993 और 2017 की बाढ़ भी क्रमशः 23 जुलाई एवं 14 अगस्त को ही आई थी, जिसमें काफी मात्रा में जान माल की क्षति हुई थी. बागमती परियोजना के अभियंता भास्कर कुमार ने बताया कि दोनों नदियां तत्काल खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, परंतु यह अभी नियंत्रण में है.
गंडक बराज वाल्मीकिनगर से छोड़ा गया पानी
इधर वाल्मीकिनगर से मिल रही सूचना के अनुसार भारत नेपाल सीमा पर स्थित गंडक बराज वाल्मीकिनगर के जलस्तर में मंगलवार की सुबह से ही तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी. नेपाल समेत भारतीय क्षेत्र में बीते दो दिनों से हो रहे लगातार रुक रुक कर हो रही तेज बारिश के कारण नारायणी गंडक नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी. इसी क्रम में बुधवार की अहले सुबह लगभग दो बजे गंडक बराज का जलस्तर इस मानसून सीजन में अधिकतम दो लाख 94 हजार क्यूसेक पानी गंडक नदी में छोड़ा गया. वही सुबह तीन बजे से जलस्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है.
गंडक नदी में छोड़ा गया पानी
समाचार प्रेषण तक गंडक नदी में छोड़ा गया दो लाख 51 हजार क्यूसेक पानी. गंडक बराज पर तैनात अभियंताओं के कान खड़े हो चुके हैं. अभियंताओं द्वारा लगातार गंडक बराज पर कैंप किया जा रहा है. गंडक बराज के कर्मियों को पूरी तरह अलर्ट पर रखा गया है. वही विद्युत सप्लाई के लिए जेनरेटर की व्यवस्था दुरुस्त कर ली गयी है. ताकि आपात स्थिति में फाटकों के उठाने और गिराने के कार्य में किसी तरह का बाधा उत्पन्न ना हो. वही कार्यपालक अभियंता रज्जन शमीम ने बताया कि बीते दो दिनों से नेपाली क्षेत्र में लगातार तेज बारिश हो रही है. नारायण घाट नेपाल से पानी के डिस्चार्ज पर पैनी नजर रखी जा रही है. पानी बढ़ने की संभावना से अभी इंकार नहीं किया जा सकता. अगर मौसम का यही रुख रहा तो जलस्तर में और भी वृद्धि दर्ज की जा सकती है.
कटाव का बढ़ेगा खतरा
जलस्तर में वृद्धि और फिर गिरावट होने के बाद तटवर्ती क्षेत्रों में कटाव की संभावना काफी प्रबल हो गयी है. गंडक नदी के तटवर्ती क्षेत्र टाइगर रिजर्व का जंगल के अलावा चकदहवा और सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के मरचहवा शिहपुर आदि क्षेत्रों में भी ग्रामीणों में भय का माहौल है.